Friday, July 29, 2016

गुलाम बन रहे हैं हम

आज दुनिया का अधिकांश व्यक्ति गुलामी का जीवन जी रहा है, वह किसी भी दिन सड़क पर आ सकता है। इसमें खुद को राजा समझने वाले लोग भी हैं और सामान्य प्रजा भी। आज राजा भी तो वोट के सहारे ही जिन्दा है! वोट के लिये उसे क्या-क्या नहीं करना पड़ता! अपना धर्म तक गिरवी रखना पड़ता है। जिस कलाकार को हम मरजी का मालिक मानते थे आज वह भी गुलामी का जीवन जीने लगा है।
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Sunday, July 24, 2016

मूर्ख दुनिया सड़ा आटा खाती है

20 रूपये किलो का गैंहूं, सड़ने के बाद 2 रूपये किलो में मिल जाता है। अब इस सड़े गैंहूँ का मैदा आसानी से बन जाता है जो 30 रूपये किलो बिकता है। बिना मेहनत के जो चापड़ निकलता है उसे भी मंहगे दाम पर बेच दिया जाता है।
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Tuesday, July 19, 2016

मन तड़पत गुरु दर्शन को आज

महिला का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही होता है। उसकी महिला पहचान इतनी बड़ी है कि उसे इससे अधिक की पहचान के लिये गुरु मिलना कठिन हो जाता है। कहीं वह बहन-बेटी के रूप में देखी जाती है तो कहीं भोग्या के रूप में।
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Tuesday, July 12, 2016

नो त्याग – नो आग

त्याग का ठेका मोदीजी के साथ किसी दूसरे देश में भेजो अब। वे आसानी से इसे दूसरे के चिपका भी आएंगे, उनसे कहो कि योग दिवस से बाद त्याग दिवस मनाने की पृथा शुरू करा दें जिससे इस त्याग के देवता का ध्यान भारत से कुछ कम हो सके। हमारे यहाँ भी ठण्डी बयार बह सके।
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Saturday, July 9, 2016

जय हो स्मार्ट फोन

इन सारे लिख्खाड़ों को हम झेल रहे हैं जी। जैसे भूसे के ढेर में सुई ढूंढी जाती है वैसे ही असली लेखक को ढूंढा जाता है। सारा दिन मोबाइल को घुमाते रहते हैं और बामुश्किल दो-चार लेखक हाथ लगते हैं। जय हो स्मार्ट फोन।
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Wednesday, July 6, 2016

माँ का अभाव – टीस जीवन भर की

अक्सर संतानें माँ के प्रेम का मौल समझ ही नहीं पाती लेकिन जिन किसी को माँ का प्रेम नहीं मिलता उनसे पूछो कि वे इस प्रेम के अभाव को कैसे अनुभूत करते हैं। उनके जीवन की सबसे बड़ी टीस होती है, माँ के प्रेम का अभाव।
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Friday, July 1, 2016

मधुशाला की हाला

शायद आदमी को भगवान ने अतृप्त बनाया है, वह संतुष्ट हो ही नहीं पाता। अपने आपको हमेशा कमतर आंकता है और गम में डूबने को मजबूर हो जाता है। काश हमारे वैज्ञानिक इस समस्या का कोई निदान निकाल सकें।
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