Wednesday, July 22, 2015

जीवन के अन्‍तरालों को खोजने की चाहत

हम रोज अपने अन्‍दर कुछ न कुछ तलाशते हैं, हम कौन हैं, हमें क्‍या अच्‍छा लगता है, हमें क्‍या करना चाहिए। रोज अपनी आदतों को खोजते हैं, रोज अपनी चाहतों को खोजते हैं और रोज अपने पाने को खोजते हैं। अपने आपके अलावा हम इंसानों को भी खोजते हैं, कौन अपना सा है? कौन है जिससे घण्‍टों बाते की जा सकती हैं? कौन है वह जिससे मन की बात की जा सकती है? 
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Tuesday, July 7, 2015

2 जी के जीवन को 4 जी के युग में चलाने की मुहीम

लोग कहते हैं जीवो, हमारा मन भी कहता है कि जिन्‍दगी ना मिलेगी दोबारा। लेकिन दुनिया कदम कदम पर आपको बता देती है कि आपका उपयोग समाप्‍त हो गया है, अब देख लीजिए आपको जीकर क्‍या करना है? किसी पेकेट पर लिखे एक्‍सपायरी डेट के समान हमारा जीवन भी हो गया है। डेट निकलने के बाद आप उपयोगी हो सकते हैं, आप पूरी तरह से खारिज नहीं हुए हैं लेकिन दुनिया कहती है कि हम तो खारिज करते हैं। आलेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/2-%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%8B-4-%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%97-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82/