अब बिसर जाने दो – सम्मान का
मोह, अब परे धकेल दो मेरेपन का भाव, अब मत सोचो किसी को संस्कार देने की बात। अब
तो बस स्वयं में ही जीवन की तलाश करनी है।
पोस्ट को पढ़ने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C-%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A4%97-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C/
पोस्ट को पढ़ने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C-%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A4%97-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C/