Saturday, April 23, 2016

सेवा करने वाला सम्माननीय

सेवा करने वाला, कमाने वाले से किसी भी दृष्टि से कमतर नहीं होना चाहिये। इसलिये भक्त को भगवान से बड़ा मानते हैं। आप भी घर में जो आपकी सेवा कर रहा हो उसे सम्मान के भाव से देखें ना कि हेय भाव से। और सम्मान का अर्थ ही होता हाँ अपने बराबर मान देना। 

Monday, April 18, 2016

मेरे अंदर एक संसार है

मेरे अंदर एक पूरा संसार है।
बचपन है, जवानी है और मेरा भविष्य है।
मेरे अंदर मेरे माता-पिता है, भाई-बहन हैं, मेरे बच्चे हैं, पति है और मेरे मित्र हैं।
बचपन का सितौलिया है, गिल्ली-डंडा है, पहल-दूज है, छिपा-छिपायी हा
कंचे हैं, गिट्टे हैं, रस्सीकूद है।
ताश है, चौपड़ है, केरम है, शतरंज है, चंगा-पौ है।
क्रिकेट भी है, रिंग भी है, बेडमिंटन भी है, टेबल-टेनिस भी है।
लड़ना-झगड़ना भी है, रूठना-मनाना भी है, पिटना और रोना भी है।
गाना है, बजाना है, नाचना है, कूदना है, फांदना है।
सभी कुछ तो है मेरे अंदर।
मेरे अंदर मेरा पूरा परिवार है, मेरा आनन्द है, मेरी हँसी है, मेरा रुदन है।
किसको ढूंढ रही हूँ मैं? किसके साथ की तलाश है?
जीने के लिये इतना क्या कम होती है?
अपने अंदर जिन्हें छिपा लिया था, उन्हें बाहर तो निकालो
सारे ही साथी तुम्हें पाकर झूम उठेंगे, नाचने लगेंगे।
तुम्हें दुनिया में किसी की तलाश नहीं रहेगी
बस तुम और तुम्हारा मन पूर्ण है जीवन के लिये
बस इसे एक बार पुकार तो लो।


Saturday, April 9, 2016

जैसा निर्माण वैसा कर्म

सामाजिक कार्यों में जहाँ महिला कार्य की नितान्त आवश्यकता है वहाँ भी यदि प्रबुद्धता को स्थान ना मिले तो निराशा होती है। अपना आत्मसम्मान बनाये रखना स्वयं का ही उत्तरदायित्व होता है। हमें थोड़ा सा पाने के लिये अपने जीवन की नींव को ही उखाड़ने का कभी प्रयास नहीं करना चाहिये। आपके माता-पिता ने आपका जिस सोच के साथ निर्माण किया है, अपनी तुच्छ सी महत्वाकांक्षाओं में उन्हें बर्बाद ना होने दें। 
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Monday, April 4, 2016

गप्प जिन्दाबाद

ढूंढिये खुद को, ढूंढिये अपने आनन्द को, निकाल दीजिये अपने गुबार। फिर देखिये दुनिया को देखने का नजरियां बदल जायेगा। जितनी गप्प मार सकते हैं मारिये, जितना खेल सकते हैं खेलिये। हमारे पास कोई गप्प मारने वाला नहीं है तो यहाँ लिख-लिखकर ही अपनी मन की निकाल लेते हैं, मन को जीवन्त बनाये रखते हैं। जीवन खुशियों से भर जायेगा। बोलिये गप्प जिन्दाबाद। 
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