श्रीमती अजित गुप्ता
प्रकाशित पुस्तकें - शब्द जो मकरंद बने, सांझ की झंकार (कविता संग्रह), अहम् से वयम् तक (निबन्ध संग्रह) सैलाबी तटबन्ध (उपन्यास), अरण्य में सूरज (उपन्यास)
हम गुलेलची (व्यंग्य संग्रह), बौर तो आए (निबन्ध संग्रह), सोने का पिंजर---अमेरिका और मैं (संस्मरणात्मक यात्रा वृतान्त), प्रेम का पाठ (लघु कथा संग्रह) आदि।
Thursday, March 29, 2012
रिश्तों में एक खुशबू होती है, बस उसे मुठ्ठी में भरने की जरूरत है
रिश्तों में एक खुशबू होती है, बस उसे मुठ्ठी में भरने की जरूरत है
बहुत बढ़िया प्रस्तुति! घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच । लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।। आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी! सूचनार्थ!
ऐसी भूली बिसरी यादें कभी कभि अचानक ही अतीत में ले जाती हैं और उस सुखद एहसास को जिन्दा कर जाती हैं ... ऐसे स्वार्थ हीन लम्हों को जीना और उन्हें यादों के आकाश में तारों की चमकते देखना बहित ही सुखद होता है .
6 comments:
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,बेहतरीन भाव,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
बहुत सुन्दर....
ब्लॉग बुलेटिन पर जानिये ब्लॉगर पर गायब होती टिप्पणियों का राज़ और साथ ही साथ आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है आज के बुलेटिन में.
ऐसी भूली बिसरी यादें कभी कभि अचानक ही अतीत में ले जाती हैं और उस सुखद एहसास को जिन्दा कर जाती हैं ... ऐसे स्वार्थ हीन लम्हों को जीना और उन्हें यादों के आकाश में तारों की चमकते देखना बहित ही सुखद होता है .
जीवन में प्यार की वास्तविकता को दर्शाता यह लेख बहुत सार्थक एवं सटीक है, इतने प्यारे लेख के लिए धन्यवाद एवं बधाईयाँ .
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