Tuesday, August 10, 2010

उदयपुर का आमंत्रण देती कुछ तस्‍वीरें, आएंगे ना?

बहुत दिनों से ना कुछ लिखा गया और ना ही कुछ विशेष पढ़ा गया। परिवार में जब बच्‍चे साथ हों तो किताबें और नेट चुपचाप से दूर किनारे पर बैठ जाते हैं, वे कहते हैं कि हम तो तुम्‍हारा साथ साल भर ही देते हैं लेकिन बच्‍चे जो कुछ दिन के ही साथी बनते हैं तो इनके साथ अपने मन की उमंग को पूरा कर लो। अभी दिसम्‍बर में भी दोनों ही बच्‍चे अपने परिवार के साथ एकत्र हुए थे तब कुछ फोटो ली गयी थी। अभी उन्‍हें दोबारा देखा गया तो सोचा कि उदयपुर को दर्शाती कुछ फोटों आपको भी दिखा दूँ जिससे कभी उदयपुर आने का मन बन जाए। वैसे भी उदयपुर के लिए सितम्‍बर के बाद का समय बहुत ही सुहावना रहता है। झीलों में पानी आ ही जाता है और चारों तरफ हरियाली पसर जाती है।

उदयपुर का सबसे पुराना बाग है यह गुलाब-बाग। यहाँ जो बिल्डिंग दिखायी दे रही है वह सरस्‍वती पुस्‍तकालय की है। यहाँ एक जू भी है और बच्‍चों के लिए एक रेलगाड़ी भी चलती है।

यह एक अन्‍य पार्क है जिसे माणिक्‍य लाल वर्मा गार्डन कहते हैं। पास में ही दूध-तलाई है और इसी के एक पहाड़ी पर है दीनदयाल पार्क। यहाँ पर म्‍यूजिकल फाउण्‍टेन है और रोप-वे भी है जो दूसरी पहाड़ी पर स्थित करणीमाता मन्दिर तक जाता हैं। यहाँ से पूरे उदयपुर को देखा जा सकता है।

उदयपुर का दृश्‍य इसी मन्दिर से लिया गया है।












उदयपुर में एक सांस्‍कृतिक केन्‍द्र भी है जहाँ दिसम्‍बर में शिल्‍प ग्राम मेले के नाम से दस दिवसीय मेला भरता है। उसी मेले में कठपुतलियों का प्रदर्शन।







उदयपुर से 100 किमी की दूरी पर एक ऐतिहासिक जैन मन्दिर है – राणकपुर। इसकी भव्‍यता यहाँ आकर ही देखी जा सकती है क्‍योंकि अन्‍दर के चित्र लेना मना है।





हमारे घर से होकर जा रहा है रास्‍ता सज्‍जन गढ़ का। आप पैदल भी जा सकते हैं और गाड़ी से भी। मेरे पतिदेव सुबह-सुबह पैदल ही चढ़ गए इस चढ़ाई पर।







और अन्‍त में फुर्सत के क्षण, अपने परिवार और रिश्‍तेदारों के संग। कुर्सी पर मैं हूँ।

अब बताइए कैसा लगा उदयपुर का छोटा सा भ्रमण। अभी केवल यह समुद्र की एक बूंद है। आप लोग आएं तब जानेंगे कि उदयपुर क्‍या है? यहाँ का इतिहास और शौर्य की गाथाओं से यह क्षेत्र पटा पड़ा है। उसे एक पोस्‍ट में नहीं लिखा जा सकता, बस एक झांकी है।

38 comments:

सुधीर राघव said...

jaroor aana chahunga. bahut hi khoobsurat shahr hai

Khushdeep Sehgal said...

अजित जी,
आप खुशकिस्मत हैं जो झीलों की नगरी में आपका आशियाना है...बहुत अच्छी लगी है उदयपुर की ये सैर...ऊपर वाले ने चाहा तो ज़रूर कभी उदयपुर की खूबसूरती से दो-चार हूंगा...वैसे परिवार आपका ब्लॉगवुड भी है...जैसे आपके घर के सदस्य आपको मिस कर सकते हैं, वैसे ही हम सब ब्लॉगर भी करते हैं...इंतज़ार है आपकी लेखनी से किसी और सार्थक बहस का...

जय हिंद...

kshama said...

Bahut chittakarshak tasveeren.Punah janeka man ho raha hai.Barson pahle gayi thi lekin bahut thoda samay mila tha dekhne ke liye!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

चित्रों के साथ बढ़िया रिपोर्ट ....कभी मौका लगा तो ज़रूर आयेंगे ...पर उदयपुर देखने से ज्यादा आपसे मिलने की ख्वाहिश ले कर . :):)

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

अरे! जब मेरी ममा हैं.... तो किस बात की फ़िक्र....मैं आ रहा हूँ... ममा...

अन्तर सोहिल said...

तस्वीरों के लिये आभार
आपने सही कहा जी तस्वीरों से कहां सबकुछ बयां होता है, कभी आयेंगें जी
आपके शहर झीलों की नगरी में

प्रणाम

पी के शर्मा said...

घर बैठे ही उदयपुर के दर्शन कराने का धन्‍यवाद । अब लगता है उदयपुर घूमने का मन बनाना ही पड़ेगा...

shikha varshney said...

ऐसे तो ये खूबसूरत शहर कई बार देखा है ..पर आपके साथ देखने कि तमन्ना तो हमेशा रहेगी ..

Arvind Mishra said...

उदयपुर दो बार हो आया हूँ -पहलीबार सहेलियों की बाडी देखी थी तो झरनों में इन्द्रधनुष उतर आया था ...अनिर्वचनीय दृश्य था जयसमंद लेक भी गया ,,
दूसरी बार ५ वर्ष पहले गया -झरना पानी विहीन था -इन्द्रधनुष गायब ..जयसमंद की भी दुर्दशा -दुबारा हिम्मत नहीं है अपने सपनो को ध्हहते देखना

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

बढिया चित्र। आभार॥

वाणी गीत said...

पास ही तो है ...कभी भी आ जायेंगे ...
वैसे दो बार आ चुके हैं ...सज्जनगढ़ का किला देखना रह गया था ...आपने दिखा दिया ..
मुझे सिटी पैलेस बहुत पसंद आया ...विशेषकर शीश महल ...पिछोला (नाम ठीक तो याद है ना )से होकर आती ठंडी हवाएं भरी गर्मी में भी हिल स्टेशन-सा आभास देती हैं ...!

Prabodh Kumar Govil said...

maananeeya ajit ji,mere bharat aagman par aapke udgaron ke liye dhanyawad.meri prastavit patrika ka bhavishya aaj aapki shubhkamnaon ne sanwar diya hai. aabhari hoon. sampark karoonga.

अजित गुप्ता का कोना said...

अरविन्‍द मिश्रा जी, जब आप उदयपुर आकर गए थे बस उस के बाद ही सारी झीले लबालब भर गयी थी और वैसे ही सहेलियों की बाडी में फव्‍वारे चल पड़े थे। इस बार बारिश आ रही है और उम्‍मीद भी है कि झीले भर जाएगी। पाँच साल पहले जैसी स्थिति अब उदयपुर की नहीं है। जयसमन्‍द में भी पानी है। एक बार आप आएंगे तो हो सकता है कि इस बार भी खूब पानी आ जाए।

Shah Nawaz said...

बेहद खूबसूरत तस्वीरें हैं. लगता है कि आना ही पड़ेगा....

मुकेश कुमार सिन्हा said...

achchha laga aapke Udaypur me aakar, beshak aapke dwara liye gaye photos ke through hi aa paye hain..........:)

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

Udaypur 1987 me aya tha. Vahan ki foto abhi tak mere pas hain. kuchh dinon ke bad "chalti ka nam gadi" par yatra sansmaran aane vala hai.

Ab jab kabhi bhi udaypur ayenge to apake darshan avashya karenge.

aabhaar

honesty project democracy said...

बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति ..शानदार प्रस्तुती ..

डॉ टी एस दराल said...

अच्छा लगा १७ साल दोबारा उदयपुर घूमना आपके साथ ।
लेक पैलेस और किले की भी तस्वीरें होती तो और भी अच्छा लगता ।

Satish Saxena said...

बहुत खूबसूरत लेख लगा आज आपका ! कई साल पहले गया था उदयपुर वाकई बहुत खूबसूरत है शुभकामनायें !

Arvind Mishra said...

यह तो बड़े खुशी की बात है -बनाते है प्रोग्राम !महफूज भाई हो आयें ,ठीक बाद !

ताऊ रामपुरिया said...

अनेक बार उदयपुर आये, सभी जगहें देखीं, वाकई बहुत सुंदर शहर है आपका. वहां एक ओपन थियेटर भी तो है जहां कठपुतली के खेल भी दिखाये जाते हैं. बच्चों की सबसे पसंदीदा जगह, और पैडल बोट चलाने का अलग ही आनंद होता था.

देखें कब आना होता है अब. हां वहां एक ब्लागर सम्मेलन करवाया जा सकता है बहुत जबरदस्त उपस्थिति रहेगी, अरविंद मिश्र जी भी तैयार हो जायेंगे.

रामराम.

रचना दीक्षित said...

उदयपुर तो अनेक बार जान हुआ पर अभी काफी दिनों से एक भी चक्कर वहां का नहीं लग सका. आपके माध्यम से एक बार सारी यादें ताज़ा हो गयी. आपको बहुत सारी बधाइयाँ उदयपुर की घर बैठे सैर करने के लिए

संजय @ मो सम कौन... said...

बहुत खूबसूरत शहर है मैडम आपका। बहुत सुन्दर चित्र हैं, आभार।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लगा आप का उदय पुर, लेकिन सब से अच्छी फ़ोटो लगी आप के परिवार की. धन्यवाद

Rohit Singh said...

अरे वाह वाह . जी वाह वाह....क्या कहने आपका निमत्रंण भी सितम्बर के बाद.मेरा भी सितम्बर में हेहेहेहे....बड़ो की आज्ञा सिर आंखो पर....सितंबर आने ही वाला है.....हो सका तो तीन चार ब्लॉगर खींच लाउंगा......

आपने मेरे निमत्रंण पर किराए की बात कही थी...एक बार जरा मेरा ब्लॉग पर देख लीजिएगा टिप्पणी में में जी अपना एक दुख रखा है....देखिएगा नहीं तो नहीं आउंगा...

Udan Tashtari said...

अब तो पक्का आना ही पड़ेगा...वैसे भी आना ही था. :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

नजदीक होते हुए भी कभी उदयपुर जाना न हुआ। सोचते हैं जल्दी ही जाया जाए।

Smart Indian said...

वाह, बहुत सुन्दर शहर है। कभी न कभी तो आयेंगे ही। धन्यवाद!

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रशिक्षण के समय तीन माह बिताये हैं उदयपुर में। सुन्दर चित्र देखकर यादें पुनः हिलोरें लेने लगीं।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

उम्दा पोस्ट के लिए धन्यवाद


ब्लॉग4वार्ता की 150वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है

नीरज मुसाफ़िर said...

अजीत गुप्ता जी,
19 जुलाई की शाम को मैं उदयपुर में पहुंच जाऊंगा और 20 की शाम को वापस चला आऊंगा।
अब आप यह बताइये कि आपसे मिलना कैसे हो?

नीरज मुसाफ़िर said...

सॉरी, माफ करना,
19 अगस्त को आ रहा हूं उदयपुर।

Parul kanani said...

main to kab se soch rahi hoon rajsthan ghumne ki..aapki tasveeron ne to hook badha di :)

निर्मला कपिला said...

वाह अजित जी कमाल की तस्वीरें हैांअपके उदयपुर की मुझे कुछ तस्वीरों देख कर अमेरिका की 17 माईल ड्राईव की याद आ गयी अब आप ही बतायें इन्हें देख कर कौन नही आना चाहेगा? बस आप तैआर रहें आपके हाथ के बने दही बडे खाने का फिर से सौभाग्य मिलेगा। शुभकामनायें

निर्मला कपिला said...

वाह अजित जी कमाल की तस्वीरें हैांअपके उदयपुर की मुझे कुछ तस्वीरों देख कर अमेरिका की 17 माईल ड्राईव की याद आ गयी अब आप ही बतायें इन्हें देख कर कौन नही आना चाहेगा? बस आप तैआर रहें आपके हाथ के बने दही बडे खाने का फिर से सौभाग्य मिलेगा। शुभकामनायें

प्रतिभा सक्सेना said...

इन मोहक तस्वीरों को देख कर ,उदयपुर और जोड़ लिया उन स्थानों में जहाँ भारत पहुँचने पर जाना है .
वैसे राजस्थान कई बार गई ,वहाँ की बात ही कुछ और है जो और कहीं नहीं .और फिर आपसे मिलने का आकर्षण भी!

Atul Sharma said...

वाक़ई बहुत खूबसूरत तस्वीरें हैं। कौन न आना चाहेगा यहाँ?

Manish Pandey said...

बहूत सुंदर प्रस्तुति है... सौभाग्य हुआ तो अवश्य आयेंगे... चित्रों को साझा करने और बहुमूल्य जानकारी के लिए धन्यवाद्