Saturday, December 3, 2016

और खीर बनती रहेगी

हमारी अम्मा एक कहानी सुनाती थी, उसे सुनने में बड़ मजा आता था, हम बार-बार सुनते थे। वैसे यह कहानी सभी ने सुनी है, कहानी गणेश जी की है। गणेश जी बालक का रूप धरकर, चुटकी में चावल और चम्मच में दूध लेकर घर-घर जा रहे हैं कि कोई मेरे लिये खीर बना दो - खीर बना दो। सब उस बालक पर हँसते हैं कि भला चुटकी भर चावल और चम्मच भर दूध से कैसे खीर बनेगी! लेकिन एक बुढ़िया तैयार हो जाती है। वह भगोने में दूध डालती है तो दूध खत्म ही नहीं होता, चावल डालती है तो खीर के अनुपात में बढ़ जाता है। सारे मौहल्ले, गाँव और दूसरो गाँवों तक को खीर खिला दी फिर भी खीर खत्म ही ना हो।
गणेश जी कहते हैं कि तुम चुटकी भर देना सीखो तो तुम्हारा दिया गया धन समाज के लिये कभी ना खत्म होने वाला धन बन जाएगा। लेकिन हम चुटकी भर भी नहीं देना चाहते। हम टेक्स को सजा मान बैठे हैं। इसलिये यह टेक्स समाप्त कर देना चाहिए। सुविधा शुल्क के रूप में पैसा लेना चाहिए। पानी, बिजली, फोन, नेट, बस, रेल, हवाई जहाज आदि-आदि सभी की रेट तय कर दो। हजार रूपया महीना जो देगा उसे पानी मिलेगा, दो हजार जो देगा उसे बिजली मिलेगी, ऐसे ही सभी की रेट निर्धारित कर दो। जो अमीर लोग प्रतिदिन हवाई यात्रा करते हैं उनके लिये भी रेट बना दो। माह में एक बार यात्रा करने पर यह रेट, रोज करने पर यह रेट। देखिये सारे ही लोग सुविधाएं खरीदने लग जाएंगे।
या तो गणेश जी की तरह चुटकी भर देना सीख लो या फिर रेट तय करा लो। तब समझ आएगा कि सरकार की सुविधा मुफ्त में ही ले रहे थे अभी तक! मुफ्त की सुविधा मिल रही हैं तो उसका मूल्य भी नहीं पता है, बस तोड़ने-फोड़ने को तैयार बैठे रहते हैं। यदि 125 करोड़ भारतीय टेक्स देना शुरू कर दें तो देश अमेरिका से कहीं अधिक धनवान हो जाएगा। आपको चुटकी भर देना हैं और चुटकी भर से ही देश का भगोना भर जाएगा और कभी ना खत्म होने वाली खीर बन जाएगी। गणेश जी सिखा गये थे चुटकी भर देना और घर की बड़ी-बूढ़ी दादी ने बता दिया था कि चुटकी भर से भी कभी ना खत्म होने वाली खीर बन सकती है। बस आप देते रहो और खीर बनती रहेगी।

2 comments:

Purnima said...

अजित गुप्ता जी बहुत सही बात बहुत अच्छे अन्दाज़ में लिखी है, बहुत सुन्दर...

अजित गुप्ता का कोना said...

आभार आपका।