Monday, August 24, 2009

कविता - बिटिया, तुम आ गयी?

आज मेरी बिटिया कनुप्रिया का जन्‍मदिन है। यह जन्‍मदिन तब और खास बन जाता है जब उसकी गोद में भी एक नन्‍हीं सी बिटिया हो। कुछ पंक्तियां मैं गुनगुना रही हूँ, उसमें आप सभी को भी सम्मिलित करना चाहती हूँ। देखिए यह गीत और आनन्‍द लीजिए।
बिटिया, तुम आ गयी?

उमस भरी रात थी
मेघ बूँद आ गिरी
एक गंध छा गयी
बिटिया, तुम आ गयी?

निर्जन सा पेड़ था
फूट गयी कोंपलें
लद गयी थी डालियाँ
बस गए फिर घौसलें
देख कुहक छा गयी
चिड़िया, तुम आ गयी?

जागती सी रात थी
चाँद-तारे दूर थे
उथल-पुथल मौन था
देव सारे चूर थे
कोई परी आ गयी
गुड़िया, तुम आ गयी?

धुंध भरी भोर थी
फूट पड़ी रश्मियाँ
इठलाती ओस थी
जाग उठी पत्तियाँ
गीत कौन गा गयी
मुनिया, तुम आ गयी?