आज मेरी बिटिया कनुप्रिया का जन्मदिन है। यह जन्मदिन तब और खास बन जाता है जब उसकी गोद में भी एक नन्हीं सी बिटिया हो। कुछ पंक्तियां मैं गुनगुना रही हूँ, उसमें आप सभी को भी सम्मिलित करना चाहती हूँ। देखिए यह गीत और आनन्द लीजिए।
बिटिया, तुम आ गयी?
उमस भरी रात थी
मेघ बूँद आ गिरी
एक गंध छा गयी
बिटिया, तुम आ गयी?
निर्जन सा पेड़ था
फूट गयी कोंपलें
लद गयी थी डालियाँ
बस गए फिर घौसलें
देख कुहक छा गयी
चिड़िया, तुम आ गयी?
जागती सी रात थी
चाँद-तारे दूर थे
उथल-पुथल मौन था
देव सारे चूर थे
कोई परी आ गयी
गुड़िया, तुम आ गयी?
धुंध भरी भोर थी
फूट पड़ी रश्मियाँ
इठलाती ओस थी
जाग उठी पत्तियाँ
गीत कौन गा गयी
मुनिया, तुम आ गयी?
20 comments:
बिटिया के जनम दिवस पर आपने बेहतर काव्यात्मक उपहार दिया है डा० साहिबा। कनुप्रिया को शुभकामनाएं।
सुन्दर अभिव्यक्ति।
कनुप्रिया को जन्मदिन की बधाई।
बहुत सुन्दर उपहार दिया है बिटिया को । बहुत बहुत बधाई और बिटिया के जन्म दिन की शुभकामनायें।
कनुप्रिया को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।
regards
सुंदर कविता....कनुप्रिया को जन्मदिन की बधाई...
बहुत सुन्दर लिखा है आपने। बहन कनुप्रिया को मेरी तरफ जन्मदिन की बधाई
सर्वप्रथम आपको इतनी सुन्दर रचना के लिये बहुत-बहुत बधाई, कनुप्रिया को जन्मदिन की अनेकोनेक शुभकामनाएं ।
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आपके भावों, और लेखनी को सलाम जिसने इतनी सुन्दर रचना द्वारा बेटी कनुप्रिया को जन्मदिन की बधाई दी.
हमारी भी बधाई कनुप्रिया को.
डॉ. साहिबा,
सर्वप्रथम तो बिटिया कनुप्रिया को जन्मदिन की ढेरों बधाईयाँ।
बहुत ही सुन्दर जज्बातों से भरी हुई भावाभिव्यक्ती
:-
जागती सी रात थी
चाँद-तारे दूर थे
उथल-पुथल मौन था
देव सारे चूर थे
कोई परी आ गयी
गुड़िया, तुम आ गयी?
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
सुंदर कविता....कनुप्रिया को जन्मदिन की बधाई...
बहुत प्यारे गीत से आपने अपनी लाडो का जन्मदिन मनाया अद्भुत है. संस्कारी है. मेरी तरफ से भी जन्मदिन दिन की शुभ्कामनाएं
कनुप्रिया को जन्मदिन की बधाई।
बहुत सुन्दर उपहार दिया है आपने । बहुत बहुत बधाई |
वाह!वाह! बहुत संदर कविता।
कनुप्रिया के जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयां।
अति सुन्दर कविता लिखी है आपने !!! कनुप्रिया को बधाई !
धुंध भरी भोर थी
फूट पड़ी रश्मियाँ
इठलाती ओस थी
जाग उठी पत्तियाँ
गीत कौन गा गयी
मुनिया, तुम आ गयी?
बहुत सुंदर ...मुनिया की बधाई आपको .....!!
दिल की गहराइयों से निकलकर आई है "बिटिया" .ढेर सारी शुभकामनाएँ .
-पदमजा
निर्जन सा पेड़ था
फूट गयी कोंपलें
लद गयी थी डालियाँ
बस गए फिर घौसलें
देख कुहक छा गयी
चिड़िया, तुम आ गयी?
बहुत सुन्दर!
आपको, कनुप्रिया को और सबसे नन्ही परी बिटिया को अनंत शुभकामनाएं! जो घर बेटियों की चहक से गूंजा नहीं वहां तो मुझे बस सन्नाटा ही सुनाई देता है.
कनुप्रिया को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।
निर्जन सा पेड़ था
फूट गयी कोंपलें
लद गयी थी डालियाँ
बस गए फिर घौसलें
देख कुहक छा गयी
चिड़िया, तुम आ गयी?
अजीत जी
आपको साहित्य परिक्रमा में पढता था तब आलेख ही पढ़े थे
आप तो काव्य जगत की भी महारथी हैं
अब ब्लॉग पर आपकी नई रचनाओ से मुक्कालात हुआ करेगी
ब्लॉग जगत में हिन्दी साहित्य और राष्ट्रीय सरोकारों की ध्वजा नए गगन चूमेगी
शुभ कामनाओ सहित
waah :)
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