बहुत पहले एक मलयालमी कहानी पढ़ी थी, यह मेरे
जेहन में हमेशा बनी रहती है। आप भी सुनिए –
एक चींटा था, उसे यह जानने की धुन सवार हो गयी कि "मैं कौन हूँ"। उसे सभी ने
राय दी कि तुम गुरुजी के पास जाओ वे तुम्हारी समस्या का निदान कर देंगे। वह गुरुजी
के पास गया, उनसे वही प्रश्न किया कि "मैं कौन हूँ"। गुरुजी ने कहा कि
यह जानने के लिये तुम्हें शिक्षा लेनी होगी। वह चींटा गुरुजी की पाठशाला में भर्ती
हो गया, अब वह वहाँ अक्षर ज्ञान सीखने लगा लेकिन कुछ दिन ही बीते थे कि उसने फिर
वही प्रश्न किया - "मैं कौन हूँ"। गुरुजी ने कहा कि इस प्रश्न का उत्तर
मेरे पास नहीं है तुम दूसरे गुरुजी के पास जाओ, वे रामायण, महाभारत आदि के बारे
में ज्ञान देंगे। अब वह वहाँ पहुँच गया और पाठशाला में भर्ती हो गया। कुछ दिन
अध्ययन किया लेकिन फिर वही प्रश्न उसे मथने लगा और गुरुजी से पूछ लिया कि राम और
कृष्ण के बारे में तो मैं जान गया हूँ
लेकिन "मैं कौन हूँ", इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा है। इस
बार गुरुजी ने वेदों के ज्ञाता गुरुजी के पास भेज दिया। वहाँ वह वेदों का ज्ञान
लेने लगा लेकिन फिर वही प्रश्न "मैं कौन हूँ", सामने आकर खड़ा हो गया।
गुरुजी ने हाथ जोड़ लिये और वह चींटा भी थक-हार कर अपने घर लौट आया।
घर में नजदीक आते ही देखा कि हजारों-लाखों चींटे खड़े हैं और
चिल्ला रहे हैं। उसे नजदीक आता देख वे खुश होने लगे, उसे सभी ने घेर लिया। वे सभी
बोले कि हमारे घर में एक अजगर ने कब्जा कर लिया है, अब तुम आ गये हो, तुम
पढ़े-लिखे हो तो तुम अजगर से हमें मुक्ति दिलवा दो। चींटा अपनी अकड़ में घर में
गया और विशाल अजगर को देखकर बोला कि जानते नहीं मैं कौन हूँ! अजगर ने उसे ऊपर से
नीचे की ओर देखा और कहा कि तुम एक चींटे हो। मैं चींटा हूँ? चींटा चिल्लाया। हाँ
तुम इन जैसे ही एक साधारण चींटे हो, अजगर ने लापरवाही से कहा। अब चींटे को ज्ञान
हो गया था। वह बाहर आया और सारे चींटों से कहा कि भाइयों मेरे साथ चलो, वह सभी
चींटों को घर में अन्दर ले गया और कहा की टूट पड़ो इस अजगर पर। पलक झपकते ही अजगर का नामोनिशान मिट गया।
अब आते हैं वर्तमान पर। मोदीजी ने कहा कि
भ्रष्टाचार रूपी एक अजगर हमारे घरों में घुस गया है, तुम सब अपनी ओर देखों और
पहचानो खुद को कि तुम कौन हो? तुम 125 करोड़
भारतीय हो, तुम खुद को खोज रहे हो – किसी जात में, किसी वर्ग में, किसी धर्म में, लेकिन
तुम यह नहीं देख पा रहे कि तुम्हारे पूर्वज एक थे, तुम्हारा डीएनए एक है, तुम्हारी
संस्कृति एक है। इसलिये आओ मेरे साथ और भ्रष्टाचार रूपी जो अजगर हमारे घर में घुस
गया है, उसे एक साथ मिलकर मार गिरायें। आएंगे ना?
1 comment:
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार(29-11-2016) के "देश का कालाधन देश में" (चर्चा अंक-2541) पर भी होगी!
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