भविष्य की गर्त में छिपा है अमेरिका का भविष्य।
ट्रम्प को भारतीय नहीं जानते लेकिन भारतीय एक बात को सदियों से जानते आए हैं और वह
है – अपमान। भारतीय अपमान के मायने जानते हैं, वे जानते हैं कि जब चाणक्य का अपमान
होता है तो चन्द्र गुप्त पैदा होता है, गाँधी का अपमान होता है तब भारत स्वतंत्र होता है, मोदी का अपमान होता है तब भारत में
पुनःजागरण होता है। अपमान के किस्से यहाँ भरे पड़े हैं और इस अपमान से निकला
सम्मान के उदाहरणों से इतिहास भरा हुआ है।
5 वर्ष पूर्व ट्रम्प व्हाइट हाउस के एक
कार्यक्रम में बैठे हैं, उनका ओबामा के सान्निध्य में ही जमकर मजाक उड़ाया जाता है
और परिणाम 5 वर्ष बाद निकलकर आता है। जब हम किसी का अपमान कर रहे होते हैं तब हम उसके मान को रौंद रहे होते हैं, उसके मान को
अस्वीकार कर रहे होते हैं। रौंदने और अस्वीकार करने की प्रक्रिया में यह परिलक्षित
कर देते हैं कि हमारे अन्दर उस व्यक्ति के मान से उपजा डर है। हम डरे हुए रहते हैं
उस व्यक्ति की सम्भावनाओं से, कहीं ये सम्भावनाएं वास्तविकता का रूप ना ले ले।
अंकुर फूटने से पहले ही रौंद दो। ट्रम्प में भी कहीं सम्भावनाएं छिपी होगी और जैसे
ही वास्तविकता का रूप लेने लगी, अपमान शुरू हो गया। सार्वजनिक अपमान की पीड़ा बहुत
होती है, व्यक्ति को हाशिये से खेंचकर बाहर ले आती है। परिणाम दुनिया के सामने
हैं। अब अपमान और सम्मान का युद्ध चलेगा, जितना गहरा अपमान होगा उतना ही गहरा
सम्मान होता जाएगा। यदि ट्रम्प बर्दास्त नहीं तो शान्त हो जाओ, प्रतिक्रिया से वह
और मजबूत होता चला जाएगा। यदि उसमें सम्भावनाएं छिपी हैं तो उन्हें उजागर होने का
अवसर दो, जनता का मौन सिद्ध करेगा कि सम्भावनाएं हैं या नहीं। जनता का शोर तो
सम्भावनाओं को अक्सर प्रबल ही करता है, कमजोर व्यक्ति में भी प्राण फूंक देता है। तुम्हारा शोर दुनिया को
बता रहा है कि तुम परिवर्तन से चिंतित हो, तुम लीक से हटकर कार्य करने में डरे हुए हो और सबसे बड़ी बात की तुम पुराने शासन
में कहीं न कहीं अपनी सहूलियत तलाश रहे थे और अब तुम्हारी चाहते कहीं पीछे ना धकेल
दी जाएं, इस बात से भी डरे हुए हो।
तुम परिवर्तन से डर रहे हो, तुम आतंकियों की
धमकी से डर रहे हो, तुम्हें डर है कि कहीं
आतंक का हमला तेज ना हो जाए।
लेकिन खरगोश के आँख बन्द करने से बिल्ली का डर
कम नहीं होता। डरो मत, साथ खड़े हो जाओ, साथ रहने से ट्रम्प भी तुम्हारे जैसा भला
होने की कोशिश करेगा। आतंक के लिये कहते हो कि बैर से बैर नहीं कटता और अपने
व्यक्ति से बैर करते हो! कहीं तुम आतंक को बढ़ावा देने का प्रयास तो नहीं कर रहे?
अमेरिका सीरिया बन जाये वह चलेगा लेकिन ट्रम्प नहीं चलेगा। कौन लोग हैं जिनके कहने
से तुम ट्रम्प का विरोध कर रहे हो? अपने व्यक्ति पर विश्वास करना सीखो, नहीं तो
तुम मिट गयी सभ्यताओं में शामिल हो जाओंगे।
No comments:
Post a Comment