Wednesday, March 27, 2019

चूहा भाग – बिल्ली आयी

खबरे आ रही हैं कि लोग भाग रहे हैं, जहाँ सींग समाए वहीं भाग रहे हैं। उत्तर से दक्षिण तक की दौड़ लगाने की योजना है, बस छिपने की जगह मिल जाए। चूहे के पीछे बिल्ली पड़ी है, बिल्ली झपट्टा मारने को तैयार है। चूहे के गाँव में पहले कभी बिल्ली नहीं आयी, चूहा निर्भीक होकर घूम रहा था, अचानक कि एक बिल्ली ने म्याऊँ-म्याऊँ का राग अलाप दिया, चूहे को लगा कि बिल में दुबकना ही ठीक है। लेकिन चूहा हमेशा दूसरे के खेत में ही कुतर-कुतर करता है, खुद का उसके पास कुछ नहीं है तो खेत ढूंढने के लिये दौड़ लगा रहा है। सुना है सुदूर दक्षिण में उसकी बिरादरी वालों की भरमार है तो अनाज मिलता रहेगा और वहाँ आसानी से फुदकता भी रहेगा। वहाँ भी पैर नहीं जमे तो समुद्र किनारे से भागना भी आसान रहेगा। लोग पूछने लगे हैं कि चौकीदार चोर है तो तू क्यों भाग रहा है! चौकीदार और चोर की बात छोड़ो, अभी तो बिल्ली पीछे दौड़ रही है, चूहा भागते-भागते हाँफ रहा है।
चौकीदार खम्ब गाड़कर खड़ा हो गया है, काशी में खम्ब गड़ा है, किसी की हिम्मत नहीं की चौकीदार की लाठी के पास भी पहुँच जाए। चोरों की टोली से कहा कि जाओ चौकीदार से मुकाबला करो, उसे भ्रमित करो और घुस जाओ घर के अन्दर। लेकिन सारे ही चोर पीछे हट गये कि अंगद का पैर उखाड़ने की हमारी औकात नहीं, किसी को खाँसी आ गयी और किसी को हाँसी आ गयी। सभी की माया दाँव पर लगी है तो ममता भी किनारे बैठ गयी है। चोरों का खानदानी कुनबा भी मारा-मारा फिर रहा है। कोई गंगाजी में डुबकी लगा रहा है तो कोई छिप-छिपकर हनुमान चालीसा पढ़ रहा है। जमानती चोर को डर है कि जमानत ही रद्द ना हो जाए। चारों तरफ शोर है, भागो – भागो – भागो। अरब सागर तक भागो।
एक चोर बोल रहा है कि यह चौकादार नहीं कोई तांत्रिक है, जादू-टोना कर दिया है सभी पर। कृष्ण बांसुरी बजा रहे हैं और उनके पीछे सारे चूहे सम्मोहित से जा रहे हैं और अपने आप समुद्र में गिर रहे हैं। कैसा अद्भुत दृश्य है! प्रमुख चौकीदार ने हर चौकी पर चौकीदार तैनात कर दिये हैं, फिर चाहे सीमा की चौकी हो या फिर थाणे की चौकी। चारों ओर चौकीदार ही चौकीदार दिख रहे हैं, चोर को घुसने की कहीं जगह नहीं मिल रही! चोरों की रानी ने नाव की सवारी कर ली कि गंगा मैया के सहारे से घर में घुस जाऊंगी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली अब खुद चोरों का सरदार समुद्र किनारे से घुसपैठ करने की सोच रहा है। लोग बता रहे हैं कि वहाँ उसकी बिरादरी वालों का हुजूम है, जैसे-तैसे उसे घर में घुसा ही देंगे। कोई बात नहीं, घर में आने से क्या होगा, बिल्ली को वहाँ पर भी रहेगी! बहुत चोर-चोर खेल लिया तूने, अब खुद ही भागा-भागा फिर रहा है। अब सभी ताली बजा रहे हैं, कह रहे हैं कि भाग – भाग – भाग, देख तेरे पीछे बिल्ली आ रही है। अब देखना है कि कल तक चोर-सिपाही का खेल खेला जा रहा था लेकिन अब चूहे और बिल्ली का खेल बन गया है। बिल्ली ने चूहे को भगा दिया है, वह उसके बिल के पास आसन डालकर बैठ गयी है। गाँव वालो भी बिल्ली को दूध-मलाई खिला रहे हैं, कह रहे हैं कि इस चूहे ने हमारी फसल बर्बाद की है। सारे खेतों को खोद डाला है, सारा ही गाँव उजाड़ सा पड़ा है। देखते हैं कि इस चूहे-बिल्ली की लड़ाई में किस की जीत होती है, बस देखते रहिये इस भागमभाग का नतीजा क्या होगा! 

1 comment:

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व रंगमंच दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।