घर में यदि छिपकली आ जाए तो हड़कम्प मच जाता है, मानो दुश्मन का सिपाही ही घर में घुस आया हो! कल ऐसा ही हुआ, हड़कम्प तो नहीं मचा क्योंकि बहादुर युवा पीढ़ी घर में नहीं है, बस हम ही पुरातनपंथी लोग रहते हैं। आजकल नूडल्स का बड़ा फैशन है और वह भी उसके खाने के तरीके का। बच्चे लोग एक नूडल लेते हैं और उसे लम्बा करके सीधे ही मुँह से खींचते हैं और सड़ाक से नूडल अन्दर हो जाती है। मोर को तो देखा ही होगा आप सभी ने, हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी भी है, बहुत ही कमसिन और हसीन होता है। लेकिन साँप को नूडल्स की तरह सीधे की सुड़क लेता है। छिपकली भी साँप प्रजाति की ही है और एक ही पूर्वज की वंशज है, तो वह भी मोर से क्या उसके पंख से भी डरकर भाग जाती है। कल यही हुआ, बाथरूम में एक छिपकली आ गयी। मैंने तत्काल बाजार की ओर प्रस्थान किया, मुझे मालूम था कि शहर में सूरजपोल चौराहे पर मोरपंख बिकते है। मोरपंख खरीदे और बाथरूम में लगाया, मैंने देखा कि छिपकली चुपचाप देख रही थी। लेकिन यह क्या! दो मिनट में ही छिपकली गायब! देखा मोरपंख की ताकत। केवल सुन्दरता के लिये ही मोर को राष्ट्रीय पक्षी नहीं घोषित किया था, यह आस्तीन के छिपे साँपों को भी सुड़ुक कर जाता है। छिपकली तो मोरपंख से ही भाग जाती है।
श्रीकृष्ण ने मोरपंख को धारण किया था, श्रीकृष्ण की शक्ति का तो पता ही है। आजकल लोग कहते हुए मिल जाएंगे कि मोदी ने साँपों के बिल में गर्म तैल डाल दिया है, साँप निकल-निकलकर भाग रहे हैं। मोरों को चारों तरफ तैनात कर दो, सारे साँप सुड़ुक! लेकिन कल ऐसा हुआ कि मेरे घर में तो छिपकली ही निकली लेकिन देश में मणिधारी साँप निकल आया। अफवाह उड़ी की हमारे पास मणिधारी साँप है, हम कितना भी धन-दौलत उगल सकते हैं। देश में चारों तरफ जनता के मोर तैनात हो चुके थे लेकिन मोरों को कहा गया कि हमारे पास मणिधारी साँप है। अब कल से ही मोर सोच में पड़े हैं कि इस साँप को छोड़ दें या इसे ही सुड़ुक कर जाएं! क्योंकि कोई और जाने या ना जाने, मोर तो जानता ही है कि मणिधारी साँप कुछ नहीं होता। लेकिन जनता तो ऐसे ही सपनों में जीती आयी है तो वह भी मणि के सपनों में खोने लगी है। सोने की मुर्गी हर घर में रोज सोने का अण्डा देगी तो भला किसका ईमान नहीं डोलेगा!
सात फण फैलाए, बगल में मणि दबाए, साँप का जलवा अब पूरे देश में दिखाया जाएगा, साँप के जहर से मत डरो, यह साँप तो धन-दौलत देने वाला है। यह बहुत ही शुभ साँप है, इसे हर घर में पनाह दो, इसका आह्वान करो, इसे दूध पिलाओ। अब मोरों को भगाने का काम होगा, साँपों को न्यौता जाएगा। बस देखना यह है कि कैसे मोदी इस साँप की मणि का सच जनता के सामने रखते हैं और साँप को विष रहित करते हैं? हर घर में साँप नहीं होंगे लेकिन कहीं उन्हीं के वंश की छिपकली होगी तो कहीं दूसरी प्रजाति होगी। हमने मोरपंख लगा लिये हैं, हम किसी मणि के भ्रम में नहीं है। हमें पता है कि साँप के पास कोई मणि नहीं है, है तो केवल विष है। यदि हम सजग नहीं हुए तो धन-दौलत की जगह विष पीना पड़ेगा। सावधान पार्थ! श्रीकृष्ण कह रहे हैं कि मैंने ऐसे ही मोरपंख को धारण नहीं किया है! हे मोदी! तू भी मोरपंख का धारण कर और इन साँपों को सुड़क जा।
श्रीकृष्ण ने मोरपंख को धारण किया था, श्रीकृष्ण की शक्ति का तो पता ही है। आजकल लोग कहते हुए मिल जाएंगे कि मोदी ने साँपों के बिल में गर्म तैल डाल दिया है, साँप निकल-निकलकर भाग रहे हैं। मोरों को चारों तरफ तैनात कर दो, सारे साँप सुड़ुक! लेकिन कल ऐसा हुआ कि मेरे घर में तो छिपकली ही निकली लेकिन देश में मणिधारी साँप निकल आया। अफवाह उड़ी की हमारे पास मणिधारी साँप है, हम कितना भी धन-दौलत उगल सकते हैं। देश में चारों तरफ जनता के मोर तैनात हो चुके थे लेकिन मोरों को कहा गया कि हमारे पास मणिधारी साँप है। अब कल से ही मोर सोच में पड़े हैं कि इस साँप को छोड़ दें या इसे ही सुड़ुक कर जाएं! क्योंकि कोई और जाने या ना जाने, मोर तो जानता ही है कि मणिधारी साँप कुछ नहीं होता। लेकिन जनता तो ऐसे ही सपनों में जीती आयी है तो वह भी मणि के सपनों में खोने लगी है। सोने की मुर्गी हर घर में रोज सोने का अण्डा देगी तो भला किसका ईमान नहीं डोलेगा!
सात फण फैलाए, बगल में मणि दबाए, साँप का जलवा अब पूरे देश में दिखाया जाएगा, साँप के जहर से मत डरो, यह साँप तो धन-दौलत देने वाला है। यह बहुत ही शुभ साँप है, इसे हर घर में पनाह दो, इसका आह्वान करो, इसे दूध पिलाओ। अब मोरों को भगाने का काम होगा, साँपों को न्यौता जाएगा। बस देखना यह है कि कैसे मोदी इस साँप की मणि का सच जनता के सामने रखते हैं और साँप को विष रहित करते हैं? हर घर में साँप नहीं होंगे लेकिन कहीं उन्हीं के वंश की छिपकली होगी तो कहीं दूसरी प्रजाति होगी। हमने मोरपंख लगा लिये हैं, हम किसी मणि के भ्रम में नहीं है। हमें पता है कि साँप के पास कोई मणि नहीं है, है तो केवल विष है। यदि हम सजग नहीं हुए तो धन-दौलत की जगह विष पीना पड़ेगा। सावधान पार्थ! श्रीकृष्ण कह रहे हैं कि मैंने ऐसे ही मोरपंख को धारण नहीं किया है! हे मोदी! तू भी मोरपंख का धारण कर और इन साँपों को सुड़क जा।
2 comments:
कुछ साँप जो समझदार थे अब मोर होकर उधर चले गये हैं। उधर के मोर कुछ बेवकूफ पता नहीं लेकिन फिर भी साँप होने में खुश हो रहे हैं। हैं तो सारे एक ही राष्ट्रीय चरित्र के प्राणी :)
आभार सुशील जी
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