बस हम जैसे खिटपिटये रजाई से निकल गए हैं और अपने शब्दों
को जाँचने में लगे हैं कि वे जमे तो नहीं हैं। खिड़की से कोहरे का आनन्द लेते हुए
शब्द धीरे-धीरे सकुचाते हुए बाहर आ रहे हैं।
पोस्ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%9B%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C-%E0%A4%AD%E0%A5%88%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%9C/
पोस्ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%9B%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C-%E0%A4%AD%E0%A5%88%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%9C/
2 comments:
आभार शास्त्री जी।
वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
Post a Comment