इतना सन्नाटा क्यों है भाई! आजकल पूरे देश में यही सवाल पूछा जा रहा है। जिस देश
को कॉमेडी शो देखने की लत लगी हो, भला उसके बिना वह कैसे जी पाएगा! हमारे लेखन के तो
मानो ताले ही नहीं खुल रहे हैं, सुबह होती है और कोई सरसरी ही नहीं होती! हम ढूंढ
रहे हैं, भाई राहुल गाँधी को, राहुल ना सही कोई और ही हो, कोई तो बयानवीर निकले।
राज्यसभा तक में बिल पास हो रहे हैं! कल मैंने देखा कि सोनिया गाँधी तक मेज थपथपा
रही थी, वह भी जोर-जोर से। मैं उस हाथ को तलाश रही थी कि अब आगे बढ़ेगा और सोनिया
मम्मा को रोक देगा। लेकिन इतनी गहरी शून्यता! अब लिखे तो किस पर लिखें! देश मौन
हुआ पड़ा है। औवेसी कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था कि हमारे अमित शाह जी ने अंगुली
दिखाकर कह दिया कि तुम्हें अब सुनना पड़ेगा
मुझे रह-रहकर एक कहानी याद आ रही है। एक व्यक्ति
के पिता की हत्या करके अपराधी मुम्बई भाग गया। बेटा हत्यारे के पीछे मुम्बई आ गया।
मुम्बई की भीड़ में बेटा घबरा गया, सात दिन हो गये, ना हत्यारे का पता लगे और ना
ही कोई बोलने वाला मिले! उसके होंठ सिल गये, जुबान हलक से चिपक गयी, वह बात करने
के लिये तड़प गया। अचानक उसे हत्यारा दिखायी दे गया। वह भागा, चाकू उसके हाथ में
था, लेकिन जैसे ही हत्यारे के नजदीक गया, चाकू दूर गिर गया और वह हत्यारे के गले
लग गया। बोला कि भाई सात दिन से बात करने के लिये तरस गया हूँ। दुश्मनी गयी भाड़
में।
ऐसा ही हाल अपना है, शान्त झील में कंकर फेंककर हलचल
मचाने की जुगतकर रही हूँ लेकिन नाकामयाब रहती हूँ। मोदीजी भी चुप है, मानो वह भी राहुल
के जाने से गमनीन है! उनके पास नामजादा नहीं है और कोई भी नहीं है, उनका दर्द तो
मेरे से भी ज्यादा है। कांग्रेस किसी को अध्यक्ष बना भी नहीं रही है, कलकत्ते से अधीर
रंजन चौधरी आए थे, मुझे तो अच्छे लगे थे, उछल-उछलकर भाषण देते थे। बार-बार अपनी
रस्सी की पकड़ को देखते भी जाते थे कि कितना उछलना है और कितना नहीं। लेकिन उनकी
उछलकूद कुछ कम पड़ गयी है। सर्वत्र उदासी छायी है।
अब मोदीजी आपको ही कुछ करना होगा, ऐसे नहीं चलेगा।
देश इस भीषण संकट में ज्यादा देर नहीं रह सकता। आप जानते ही हैं कि देश मतलब सोशल
मीडिया है, यदि सोशल मीडिया में मंदी आ गयी तो शेयर मार्केट गिर पड़ेगा! लोगों को
कॉपी-पेस्ट करने का मसाला नहीं मिल रहा है। आपको गाली देने का बहाना भी नहीं मिल
रहा है। और ये क्या? आप दूसरे दल के बयानवीरों को भाजपा में मिला रहे हो! अब तो
खामोशी के अतिरिक्त और क्या बचेगा?
मेरी तो विनती है कि बयानवीर-मंत्रालय बना
दीजिये। दिनभर चहल-पहल रहेगी। मीडिया के सूने पड़े मंडी-हाउस में भी बहार आ जाएगी।
कोई बकरा खरादेगा तो कोई बछड़ा खरीदेगा। न जाने कितने पहलवान दण्ड पेलते नजर आ
जाएंगे। आप सभी की खामोशी ने देश को विदेशियों की तरफ मोड़ दिया है, कभी वे इमरान
की और देखने लगते हैं तो कभी ट्रम्प की तरफ। पता नहीं आपने ऐसा क्या कर दिया है जो
विदेशी भी सारे आपकी तरफ खड़े हो गये हैं, अब यह भी कहीं होता है कि 15 में से 15
वोट आपको मिल जाए, बस एक वोट इमरान को मिले। फिर ईवीएम फिक्स करने का आरोप लग
जाएगा!
अभी राहुल का बयान आता तो कितना मसाला
मिलता, लेकिन उस बेचारे को आपने चढ़ती
उम्र में ही संन्यास दिला दिया! कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक खामोशी बरकरार है।
बस एक काफिला है जो चला आ रहा है आपकी तरफ। सारी नदियां समुद्र में मिलना चाह रही
हैं! कल देखा था मैंने एक नजारा, हजारों पक्षी, लम्बी कतार में चले जा रहे थे,
उनका अन्त नहीं था, बस कतार खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। ऐसी ही कतार चल पड़ी
है आप की ओर, लोग आप में समा जाना चाहते हैं। यदि सभी कुछ मोदीमय हो जाएगा तो नीरस
हो जाएगी जिन्दगी।
कुछ करिये, राहुल जैसों को वापस लाइए। नहीं तो आप
ही कुछ बोल जाइए। देश तो आलोचना में सिद्धहस्त है, वे राहुल की जगह आपकी शुरू कर
देंगे, बस उन्हें मौके की तलाश है। देश पहले उस फिल्म की तरह था जहाँ हीरो अलग था,
विलेन था, कॉमेडियन था लेकिन अब हीरो ही सबकुछ हो गया है। देश को जब बोरियत होती
है तो हीरो को ही विलेन बना देता है और हीरो को ही कॉमेडियन। लेकिन एक से काम नहीं
चलेगा, आप मनाकर लाइए हमारे सोशलमीडिया के नेता को।
No comments:
Post a Comment