भारत के प्रत्येक शहर में एक ऐसा चौक या गली जरूर
होगी जहाँ चाट खाते हुए लोग मिल जाएंगे। अभी तो प्लेटों का जमाना आ गया है लेकिन
अभी कुछ दिन पूर्व तक पत्ते पर चटपटी चाट खाने का आनन्द ही कुछ और था, उस पर लगी
चटनी को अंगुलियों से चाटने का या फिर पत्ते को जीभ से चाटने का स्वर्गीय आनन्द
ही कुछ और रहा है।
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3 comments:
पाता नहीं क्यों आपके ब्लॉग खुल नहीं रहा है ... कोई वाइरस थ्रेट आ जाती है हर बार ... चेक करें ...
धन्यवाद बहन डॉ.अजित गुप्ता जी
नासवा जी, मोबाइल से मुझे भी महसूस हुअा लेकिन कम्प्यूटर पर खुल रहा है।
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