यदि आज ये कलाकार
नहीं होते तो हमारा जीवन कैसा होता? हम प्रकृति के समक्ष खड़े होते, निहत्थे बनकर।
लेकिन मनुष्य ने प्रकृति को संवार दिया, उसे सुसंस्कारित कर दिया। आज सृष्टि का
जो स्वरूप हमें दिखायी देता है, वह स्वरूप इन कलाकरों के कारण ही है। इनके लिए
जितने भी शब्द लिखे जाएं, वे कम हैं।
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