हिन्दी सम्मेलन के संयोजक का फेसबुक पर निमंत्रण मिला। कहीं बाहर जाने का मन हो रहा था और यदि पर्यटन के साथ साहित्य का साथ हो जाए तो ऐसा लगता है जैसे सोने पर सुहागा। क्योंकि कुछ लोगों के मनोरंजन का अर्थ होता है नाचना, गाना और खाना। लेकिन हम लोगों के मनोरंजन का अर्थ होता है बौद्धिक चर्चा। जब तक मानसिक खुराक नहीं मिले लगता है कुछ नहीं मिला। फिर जानना था आज के थाईलैण्ड को जो कल तक भारत का श्याम देश था और जानना था कम्बोडिया को जो कल तक भारत का कम्बौज देश था।
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1 comment:
बेहतरीन अगली कड़ी का इंतजार होगा
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