Saturday, December 22, 2012

पुरुषों की स्‍वतंत्रता


अभी एक टिप्‍पणी पढ़ी, "शादी के बाद भी आप हँस रहे हैं, यह क्‍या कम है?" प्रतिदिन ऐसी ही ढेरों बातों से हमारा साक्षात्‍कार होता है। विवाह को बंधन, स्‍वतंत्रता छीननेवाला, गुलाम बनाने वाला आदि आदि कहा जाता है। पत्‍नी सभी के लिए मुसीबत होती है। इस पोस्‍ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - 
http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE/

5 comments:

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

बेहतर लेखनी, बधाई !!

अजित गुप्ता का कोना said...

धन्‍यवाद रजनीश जी।

राजन said...

अजित जी,एक हद तक आपकी बात से सहमत हूँ क्योंकि पुरुष जिस बात को अपने लिए मजाक में कह रहा है यदि भारतीय पत्नियों के संदर्भ में देखा जाए तो ये एक कड़वी सच्चाई है शायद तभी कोई पत्नी मजाक में यह नहीं कहती कि शादी करके गुलाम बन गई।लेकिन कुछ बातों को आप जरूरत से ज्यादा गंभीरता से ले रही है।ऐसी बातें कोई पत्नी के अपमान के इरादे से ही नहीं कही जाती।और फिर पुरुष को ही दोष क्यों दोष दिया जाए।एक लडके की माँ बहन चाची भाभी आदि भी पहले ही इस तरह का मजाक करने लगती हैं कि अब तो मास्टरनी आ जाएगी वो कान खींच कर रखेगी अब तो उसकी ही चलेगी आदि आदि।अब वो किस इरादे से ऐसा कहती हैं? और पत्नियाँ भी पति के दोस्तों सहकर्मियों या पडोसी आदि के सामने पति का उसके बेतरतीबपने का उसके भुलक्कडपने उसके तोंदियल पेट आदि का मजाक उडाती है।ये बात यहाँ कहने का मतलब इतना ही है कि कुछ बातें अपमान के इरादे से ही कही गई हों ये जरूरी नहीं।

Asha Lata Saxena said...

शादी एक पवित्र बंधन है इस में कोई किसी का गुलाम नहीं होता |

अजित गुप्ता का कोना said...

राजन जी, समाज में आज महिलाओं और पुरुषों के प्रति जो असंवेदनशीलता दिखायी देती है, वह इसी मजाक का परिणाम है। हँसी-ठिठोली तक बात हो तो ठीक लेकिन जब रात-दिन महिलाओं का उपहास उड़ाना जारी रहता है तो समाज में उनके प्रति नजरियां ठीक नहीं रहता, और फिर हिंसा में बदलता है। वैसे आपकी बात से पूर्ण सहमत हूँ, महिलाएं भी ऐसा ही उपहास करती हैं। आपने इंगित किया जो ठीक ही किया।