Sunday, December 2, 2012

लिखना, पढ़ना और टिपियाना

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2 comments:

रविकर said...

आजादी टिप्पणी की, फिर करना क्यूँ खेल ।

तथ्य समाहित हों अगर, तभी भेजिए मेल ।

तभी भेजिए मेल, उठा पढ़ने की जहमत ।

अगर लगे उत्कृष्ट, यथोचित दीजे अभिमत ।

रविकर की कुंडली, श्रेष्ठ रचना की आदी ।

छाप लिंक-लिक्खाड़, टीप की दे आजादी ।।

अजित गुप्ता का कोना said...

रविकर जी आपका तो अंदाज ही निराला है।