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2 comments:
आजादी टिप्पणी की, फिर करना क्यूँ खेल ।
तथ्य समाहित हों अगर, तभी भेजिए मेल ।
तभी भेजिए मेल, उठा पढ़ने की जहमत ।
अगर लगे उत्कृष्ट, यथोचित दीजे अभिमत ।
रविकर की कुंडली, श्रेष्ठ रचना की आदी ।
छाप लिंक-लिक्खाड़, टीप की दे आजादी ।।
रविकर जी आपका तो अंदाज ही निराला है।
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