गतांक से आगे - तृतीय खण्ड
स्वामी विवेकानन्द के लिए राजपुताने का महत्व सर्वाधिक रहा है। राजपुताना ही ऐसा प्रदेश था जहाँ उन्होंने व्यापक स्तर पर बौद्धिक चर्चाएं प्रारम्भ की। सभी वर्गों और सभी सम्प्रदायों को अपने ज्ञान से अभिभूत किया। उनके पास राजा भी नतमस्तक हुए और रंक भी, उनके पास हिन्दु भी आए और मुसमलमान भी। वृन्दावन से निकलकर उन्होंने राजपुताने का रुख किया और सर्वप्रथम अलवर आए। पूरी पोस्ट के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें -
http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%A1-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%A6/
स्वामी विवेकानन्द के लिए राजपुताने का महत्व सर्वाधिक रहा है। राजपुताना ही ऐसा प्रदेश था जहाँ उन्होंने व्यापक स्तर पर बौद्धिक चर्चाएं प्रारम्भ की। सभी वर्गों और सभी सम्प्रदायों को अपने ज्ञान से अभिभूत किया। उनके पास राजा भी नतमस्तक हुए और रंक भी, उनके पास हिन्दु भी आए और मुसमलमान भी। वृन्दावन से निकलकर उन्होंने राजपुताने का रुख किया और सर्वप्रथम अलवर आए। पूरी पोस्ट के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें -
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