चौंकिए मत। राम को वनवास मिला और वे जिस दिन अयोध्या वापस लौटे, उस दिन दीपावली मनी। कौशल्या के दुलारे राम, या किसी माँ के लाड़ले बेटे का आगमन दीपावली ही तो मनाता है। भारत के लाखों माँओं के लाल आज विदेशों में हैं। विदेशों में दिसम्बर मास में ही छुट्टियों का योग सर्वाधिक बनता है तो सारे ही लाड़ले इसी मास अपने घर आते हैं। इसलिए हम सभी के राम और लक्ष्मण सीता के साथ दिसम्बर में ही तो आ रहे हैं।
घर-घर में सफाई हो रही है, पकवान बन रहे हैं। दीपावली पर पटाखे नहीं चलाए गए थे, उन्हें बचाकर रखा गया है, उनको निकाल लिया गया है। शायद दीपक तो नहीं जलें लेकिन अब हर कमरे की बत्तियां रोशन होंगी। महिनों से जो कमरे बन्द पड़े थे उनकी सीलन भी भाग जाएगी, वहाँ ताजी हवा का झोंका जो आने वाला है। माँ नौकर-नौकरानियों को आदेश देती घूम रही है कि देखो इन दिनों में कोई छुट्टी नहीं मिलेगी। सभी को काम मन लगाकर करना है। जब भैया चले जाएंगे तब ईनाम भी मिलेगा।
फोन पर बातें हो रही हैं कि बेटा क्या-क्या बनाऊँ? पोता भी तो आ रहा है। उसे क्या पसन्द है? वह भारतीय खाना पसन्द करेगा? क्या कहा, उसे लड्डू पसन्द हैं, अच्छा बस आज ही बनाकर रखती हूँ। मैंने गाजर का हलुवा भी बना लिया है और मठरियां भी। एक लिस्ट तुम्हारे पापा को भी थमा दी है कि घर में सारा ही सामान होना चाहिए। दूध वाले को भी कह दिया है कि अब से ज्यादा और अच्छा दूध देना। लेकिन यह क्या, उसने तो आज ही ढेर सारा दूध ला दिया। पतिदेव से कहा कि आज ही क्यों ले लिया इतना दूध? वे बोले कि अरे तुम्हे हलुवा बनाना है ना।
पिता भी बहुत खुश हैं। बेचारी माँ कह-कहकर थक गयी कि गाड़ी का टेप पुराना हो गया है, इसमें नया लगवाओ। लेकिन खर्चे का बहाना करके ऐसी विलासिता की बाते टल ही जाती हैं। लेकिन यह क्या तीन दिन से गाड़ी गेराज में हैं, जितनी भी टूट-फूट है वह दुरस्त हो रही है। वह तो जायज है लेकिन आज फिर दिन में बिना खाना खाए ही पिताजी गायब हो गए। आकर बताया कि देखो नया सोनी का टेप लगवा कर आ रहा हूँ गाड़ी में। अब तुम देख लो कुछ और कमी तो नहीं है। माँ आश्चर्य से देख रही है परिवर्तन। सैकड़ों का हिसाब रखने वाले आज हजारों की भी पर्वाह नहीं कर रहे।
ऐसे ही तो नहीं मनी थी दीपावली? अपने जिगर का टुकड़ा जब पोते के साथ घर आता है तब उसका आना सच में दीपावली बन जाता है। इस दिसम्बर में सारी ही फ्लाइट भरी हुई हैं। दाम आसमान छू रहे हैं। क्योंकि हर घर में राम आ रहे हैं। रिश्तेदारों को भी उत्साह है, वो भी कह रहे हैं कि अब तो तभी आएंगे, जब बेटा आएगा। ये पंद्रह दिन का त्योहार घरों में साल में एक बार या दो साल में एकबार आता है, फिर वहीं अमावस। बस नेट पर बातें, फोन पर बातें ही रह जाती हैं। बहुत लम्बी पोस्ट हो गयी है। मुझे भी तो तैयारी करनी है, बेटे, पोते और बहु का स्वागत करना है। शायद अब ब्लोगिंग की दुनिया कुछ पीछे छूट जाए। लेकिन हम तो बारहों महिने ही साथ है ना? चलिए शायद आपके घर भी राम आ रहे हों। सभी को बधाई।
6 comments:
लाजवाब... दिल खुश हो गया पढ़कर.. अपने लाड़ले जब वनवास से लौटते हैं तो हर घर में दीवाली होती है.. सच में घर-घर में आएंगे राम...
सही कहा आपने, कुछ एक हमारे राम-लक्ष्मण भी है, जो विदेशो में होटलों में फंसे है, वे चाहकर भी नहीं आ पाते, क्योंकि क्रिसमस और न्यू इयर इव की वजह से निकल पाना उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है !
मैडम जी बहुत बहुत बधाई। ब्च्चों के आने की खुशी मे पोस्ट चमक रही है खुश्बो तो हमे भी आ गयी थी। आजकल अपने भी बच्चे आये हुये हैं अपने भी खूब मजे हो रहे हैं। बहुत बहुत बधाई । कुछ दिन के लिये जैसे जीवन भर की खुशियाँ मिल जाती हैं
आपकी ख़ुशी छिपाए नहीं छिप रही ...बहुत बधाई.....अपने परिवार के साथ अच्छा से व्यतीत करे ...शुभकामनायें ...!!
AAPNE SAHI KAHA ..... VIDESH MEIN RAHTE HUVE JAB JAB MAIN KGAR JAATA HUN TO GHAR MEIN SAB KO INTEZAAR KARTE PAATA HUN ...
BACHON KO DEKHNA AUR UNSE MILNA KISI BHI KHUSHI SE BADH KAR HOT HI ...
bahut bahut badhai aur shubhkamnaye bachho ke ghar aane ki yu hi jeevan mhkta rhe khushiyo ke intjar me aur milne ke ijhar me
Post a Comment