Friday, October 16, 2009

दीवाली पर एक कविता - शब्‍द तुम्‍हारे दीप बनेंगे

शब्द तुम्हारे दीप बनेंगे
अन्तर्मन के कलुष हरेंगे
शब्द-शब्द हो प्रेम भरा
कैसे मन में द्वेष रहेंगे?

शब्द साधना राह कठिन
शब्द-शब्द से दीप बनेंगे
तमस रात में लिख देंगे
शब्दों में नहीं बेर भरेंगे।

आओ हम सब भरत बने
या लक्ष्मण बन जाएंगे
उर्मिल को रख के मन में
मर्यादा नहीं भंग करेंगे।

सरल नहीं प्रेम को पाना
देना तो सब कर पाएंगे
राम ने पाया प्रेम भरत का
क्या हम भी जतन करेंगे?

आज दीवाली दीपों की
हम बाती का स्नेह बनेंगे
प्रेम द्वार पे जोत जलाके
मन में विश्वास भरेंगे।

23 comments:

निर्मला कपिला said...

सरल नहीं प्रेम को पाना
देना तो सब कर पाएंगे
राम ने पाया प्रेम भरत का
क्या हम भी जतन करेंगे?
आज दीपावली के शुभ अवसर पर सुन्दर संदेश देती सामयिक रचना के लिये बधाई।पर्व मनाने का वास्तव मी लाभ ही तभी है जब हम उस से कोई प्रेरणा लें ना कि केवल मनोरंजन के लिये ही मनायें आपको व परिवार को दीपावली की शुभकामनायें।

अजित गुप्ता का कोना said...

सही लिखा है निर्मला जी आपने, त्‍योहार मनोरंजन नहीं है अपितु हमारी प्रेरणा बनने चाहिए। बहुत ही श्रेष्‍ठ विचार।

gazalkbahane said...

आओ हम सब भरत बने
या लक्ष्मण बन जाएंगे
उर्मिल को रख के मन में
मर्यादा नहीं भंग करेंगे।

सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाई


दीप सी जगमगाती जिन्दगी रहे
सुख सरिता घर-मन्दिर में सतत बहे

श्याम सखा श्याम
हिन्द युग्म पर मेरी रचनाओं पर स्नेह हेतु आभार
चाहें तो यह ब्लॉग भी देखें

http://gazalkbahane.blogspot.com/

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सुंदर व्यंजनाएं।
दीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
आप ब्लॉग जगत में निराला सा यश पाएं।

-------------------------
आइए हम पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।

दीपक 'मशाल' said...

sundar kavita... aapke blog par aakar achchha laga man ko..
deewali ki shubhkamnayen..
kabhi swarnimpal.blogspot pe bhi aayen..

विनोद कुमार पांडेय said...

सुंदर कविता...दीवाली की बहुत बहुत बधाई!!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर संदेश और इच्छा..
दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें

Smart Indian said...

"आज दीवाली दीपों की
हम बाती का स्नेह बनेंगे
"
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

Udan Tashtari said...

सुन्दर रचना...

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल ’समीर’

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

आज खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बहुत सुन्दर लगी आपकी रचना ...
सही कहा जी
स स्नेह दीपावली की शुभकामनाएं
आपके परिवार के सभी के लिए
- लावण्या

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।
युग सदा विज्ञान का, चलता रहेगा।।
रोशनी से इस धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

Girish Kumar Billore said...

दीप की स्वर्णिम आभा
आपके भाग्य की और कर्म
की द्विआभा.....
युग की सफ़लता की
त्रिवेणी
आपके जीवन से आरम्भ हो
मंगल कामना के साथ

Asha Joglekar said...

सुंदर कविता है । आपको दीपावली की अनेक शुभ कामनाएँ ।

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

सुंदर रचना

शोभना चौरे said...

bahut sundar sndes deti prernadayk kavita .sachhai hmne khoob deepak jlaye ,khoob bijli ke balbo ki roshni ki par sneh ki bati sukhi hi rhi .aisa kya kre ?jisse rishto me fir se grmahat aa jave .
abhar

singamaraja said...

Singamaraja visiting your blog

alka mishra said...

शब्दों पर अच्छा शोध कर रही हैं

padmja sharma said...

प्रेम और विश्वास ही जीवन है .इसी से खुशियों के दीप जलते हैं .

padmja sharma said...

प्रेम और विश्वास ही जीवन है .इसी से खुशियों के दीप जलते हैं .

Anonymous said...

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शेष राज प्रजापति said...

लक्स्मन और भरत की कमी नही है भारत में ,
फिर क्यों रावन पाव जमाये बेठा भारत में ?
क्यों अब कोई राम बन कर मर्यादा नही रखता है ,
या राम को कोई हनुमान नही दीखता भारत में ?

Unknown said...
This comment has been removed by the author.