शब्द जो मकरंद बने पुस्तक से एक कविता
वसीयत
मेरे अन्दर जितने शब्द बसे हैं
कुछ तो बाँटे पर कुछ शेष रहे हैं
जीवन की इस ढलती संध्या में
मेरी इस पूँजी पर किसका नाम लिखा है?
गठजोड़े में बँधकर
जब घर में नाजुक पैर पड़ेंगे
उस दिन मेरी मुट्ठी में
देने को क्या शेष बचेगा?
उसकी आँखों में सपने दूंगी या
दौलत की कुंजी उसके हाथ धरूँगी?
जब हाथ बढ़ेंगे मेरे पैरों तक
कुछ शब्द लबों पर आएंगे
उनको ही माथे पर अंकित कर दूँ?
या उसके हाथों को पूँजी से भर दूँ?
क्या मेरी इस पूँजी पर उसका नाम लिखा है?
इक दिन ऐसा भी आएगा
सब कुछ देने को मन कर जाएगा
जाती बिटिया की झोली में
क्या-क्या मैं भर दूंगी?
हीरे पन्ने माणक या
इन शब्दों में भीगी दुनिया?
उसकी मुट्ठी में चुपके से रख दूंगी
एक पिटारी प्यारे से शब्दों की
उन शब्दों से शायद मिल जाए
मन को जीतने की कुंजी!
शेष बची पूँजी पर क्या
बिटिया का नाम लिखा है?
मैं क्या देकर जाऊँगी?
यह सोच उभर कर आता है
किसे वसीयत कह दूँ मैं
यह भी मन जान ना पाता है?
कागज पर धन दौलत का जोड़ लिखूँ?
या केवल मन के शब्दों का मौल लिखूँ?
कौन वसीयत कहलाएगी
प्रश्न समझ नहीं आता है?
धन दौलत से तौली जाऊँगी
या मेरे शब्दों को मौल मिलेगा?
शब्दों की पूँजी पर बोलो
किसका नाम लिखा है?
मेरी दौलत को जब कूंता जाएगा
कुछ शब्द निकल कर आएंगे
इन शब्दों का यदि मौल करांेगे
मेरी पूँजी तो इससे ही आंकी जाएगी
मेरी वसीयत में धन दौलत का नाम नहीं
जो भी है बस मेरे अक्षर है
इन पर ना जाने किन-किन का नाम लिखा है?
दौलत तो रीति हो जाएगी
शब्दों से ही संसार बसेगा
मेरे शब्द विरासत में तुम देना
आने वाली हर पीढ़ी को
ये शब्द मधुरता लाएंगे
अपनों का भाव बताएंगे
गंगा में दौलत को अर्पित कर देना
पर इन शब्दों को जाने देना, उड़ने देना
दूर जहाँ तक जाएं ये
पीढ़ी दर पीढ़ी बसने देना
मेरे इन शब्दों में शायद
हर पीढ़ी का नाम लिखा है।
15 comments:
धन दौलत से तौली जाऊँगी
या मेरे शब्दों को मौल मिलेगा?
बहुत खूब शानदार रचना ||
स्वागत और साधुवाद ||
most respected madamji,
"shabd brahm hai " aapki kavita ko padhkar yah ehsas hua .
shbd khuda bhi hai,
shbd dua bhi hai..
shabdo ki ye vasiyat ham sabhi ke liye virasat hai.
madamji mujhe aapki ye pankitayn abhut achchi lagi
उन शब्दों से शायद मिल जाए
मन को जीतने की कुंजी!
शेष बची पूँजी पर क्या
बिटिया का नाम लिखा है?
nav varsh ki shubhkamnaye !!
almighty bless you
with reagrds
amitabh
बहुत खूब...
गंगा में दौलत को अर्पित कर देना
पर इन शब्दों को जाने देना, उड़ने देना
दूर जहाँ तक जाएं ये
पीढ़ी दर पीढ़ी बसने देना
मेरे इन शब्दों में शायद
हर पीढ़ी का नाम लिखा है।
बहुत सुन्दर कविता...।
आदरणीया अजित जी, इस नये पृष्ठ के साथ आपका स्वागत है। उम्मीद है आपके विशाल अनुभव का लाभ हमें और आनए वाली पीढ़ियों को निरन्तर मिलता रहेगा। शब्द ‘ब्रह्म’ हैं इसलिए ये नष्ट नहीं होंगे।
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ये word verification का लफ़ड़ा हटा दें। फालतू चीज है।
जाती बिटिया की झोली में
क्या-क्या मैं भर दूंगी?
हीरे पन्ने माणक या
इन शब्दों में भीगी दुनिया?
उसकी मुट्ठी में चुपके से रख दूंगी
एक पिटारी प्यारे से शब्दों की
उन शब्दों से शायद मिल जाए
मन को जीतने की कुंजी!
बहुत खूब, शायद बिटिया हीरे, पन्ने और माणक से ज्यादा शब्दों को सहेज कर रख सकेगी, जो सिर्फ उसके अपने लिये होंगे।.. बहुत ही उम्दा रचना, साधूवाद।
सागर नाहर
देवगढ़ मदारिया
bahut hi acchi vasiyat hai aapki....bahut hi acchi lagi aapki kavita padh kar...
वाह डॉ. साहब वाह बढ़िया कविता है। नए साल की आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
आप सभी का आभार। आप सभी ने मुझे जो प्रोत्साहन दिया उसे हमेशा दिल में सजा कर रखूंगी।
अजित गुप्ता
बहुत बढ़िया, हिन्दी ब्लॉग में आपका हार्दिक स्वागत है, शुभकामनायें… कृपया वर्ड वे्रिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी देने में कोई बाधा न हो… धन्यवाद
शब्दों से ही ससार बसेगा
बहुत खूब्।
http://gyansindhu.blogspot.com
बहुत भावभीनी रचना ह्रदय की गहराईयों की आवाज़ शब्दों के प्रवाह में बह निकली है आपका स्वागत है .... मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें
मेरी दौलत को जब कूंता जाएगा
कुछ शब्द निकल कर आएंगे
इन शब्दों का यदि मौल करांेगे
मेरी पूँजी तो इससे ही आंकी जाएगी
Vasiyat ko lekar apni uljhan bakhubi rakhi hai aapne. Aapke shabd door tak pahunchein, Shubhkaamnayein.
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ब्लोगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है. मेरी कामना है की आपके शब्दों को नई ऊंचाइयां और नए व गहरे अर्थ मिलें और विद्वज्जगत में उनका सम्मान हो.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर एक नज़र डालने का कष्ट करें.
http://www.hindi-nikash.blogspot.com
सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर.
गंगा में दौलत को अर्पित कर देना
पर इन शब्दों को जाने देना, उड़ने देना
दूर जहाँ तक जाएं ये
पीढ़ी दर पीढ़ी बसने देना
मेरे इन शब्दों में शायद
हर पीढ़ी का नाम लिखा है।
अद्भुत रचना ...
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