Friday, February 26, 2021

छायादार पेड़ की सजा

 

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मेरे घर के बाहर दो पेड़ लगे हैं, खूब छायादार। घर के बगीचे में भी इन पेड़ों की कहीं-कहीं छाया बनी रहती है। कुछ पौधे इस कारण पनप नहीं पाते और कुछ सूरज की रोशनी लेने के लिये अनावश्यक रूप से लम्बे हो गये हैं। एक दिन माली ने कहा कि इन पेड़ों को आधा कटा देते हैं जिससे सूरज की रोशनी सारें पौधों पर आ सकेगी। एक बार तो मन ने बगावत की लेकिन दूसरे ही पल मन ने स्वीकार कर लिया। पेड़ों को यदि काट-छाँट नहीं करेंगे तो उनका विकास भी नहीं होगा।

पेड़ कट गये। पर्याप्त रोशनी हो गयी। लेकिन मनुष्य के जीवन में क्या यही प्रयोग होता है! हम छायादार व्यक्तित्व को इसलिये काट देते हैं कि दूसरे उसके समक्ष पनप नहीं पाते? पेड़ कट जाता है क्योंकि उसके पास विरोध का साधन नहीं है लेकिन व्यक्ति संघर्ष करता है। कुल्हाड़ी लेकर तो लोग उसके सामने भी खड़े हो जाते हैं लेकिन उसके अन्दर विरोध की क्षमता उसे बचा लेती है।

लेकिन बहुत ही कम ऐसे क्षमतावान लोग होते हैं जो सारे आघातों से पार पा लेते हैं। कभी परिवार की सामूहिक शक्ति हमें काट डालती है को कभी समाज की और कभी राजनैतिक शक्ति। अक्सर सुनाई देते हैं ये शब्द कि बहुत बढ़ गया है अब थोड़े पर कतरनें चाहिये। जब सामूहिक आक्रमण होता है तब हम जड़ हो जाते हैं और जड़ हुए व्यक्ति को कोई भी काट डालता है।

हम भी न जाने कितनी बार कटते हैं लेकिन फिर हमारी जिजीविषा हमें वापस पल्लवित करती है। फिर किसी राहगीर को छाया देने लगते हैं। फिर किसी बगीचे के पनपने में बाधक लगने लगते हैं। फिर कटते हैं। हम बार-बार कटते हैं और बार-बार पनपते हैं। किसी के लिये छाया बनते हैं और किसी की धूप में बाधक बन जाते हैं। यही जीवन है। छायादार पेड़ बनने की सजा मिलती रहेगी। मुझे भी और आपको भी।

12 comments:

Onkar said...

बहुत सुंदर

Admin said...

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शिवम कुमार पाण्डेय said...

बहुत बढ़िया

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

विचारणीय लेख .

Shivam Singh said...

nice and informative info i thknk you all like this info
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उषा किरण said...

हम बार-बार कटते हैं और बार-बार पनपते हैं। किसी के लिये छाया बनते हैं और किसी की धूप में बाधक बन जाते हैं। यही जीवन है। छायादार पेड़ बनने की सजा मिलती रहेगी। मुझे भी और आपको भी।
कितना सही लिखा…अनुभव का निचोड़ 👌👌

Sweta sinha said...

छायादार पेड़ बनने की सज़ा .. कितनी सहजता से गंभीर बात कह गयीं।
बेहतरीन आलेख।
सादर।

Amrita Tanmay said...

सही कहा कि यही जीवन है ।

Sudha Devrani said...

बहुत सुन्दर... विचारणीय लेख।

प्रवीण पाण्डेय said...

जी बड़ा ही सुन्दर उदाहरण दिया है। सबको विकसित होने का अवसर मिले।

Anonymous said...

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Ankit Sachan said...

बहुत बढ़िया