Saturday, August 10, 2019

नमन है तुझको कवि!



धारा 370 क्या समाप्त हुई, कवि की कविता ही समाप्त हो गयी! कल एक चैनल पर हरिओम  पँवार ने कहा। वे बोले की मैं चालीस साल से कश्मीर पर कविता कह रहा था लेकिन आज मुझे खुशी है कि अब मेरी कविता भी समाप्त हो गयी है। न जाने कितने कवियों ने कश्मीर पर कविता लिखी, सारे देश में कविता-पाठ किया और हर भारतवासी के दिल में कश्मीर के प्रति भाव जगा दिया। उसी भाव का परिणाम है कि आज धारा 370 हटने के बाद देश में अमन-चैन है। हरिओम पँवार कहते हैं कि मैंने आज तक किसी भी सरकार की प्रशंसा में कविता नहीं लिखी लेकिन आज मजबूर हो गया हूँ कि मोदी और अमित शाह के लिए लिखूं।
मैं अक्सर कहती हूँ कि पहले साहित्यकार सपने देखता है फिर वैज्ञानिक उसे  पूरा करते हैं। चाँद का सपना पहले कवि ने ही देखा था, वैज्ञानिक उनकी कल्पना से ही चाँद तक पहुँचने की सोच को धरती  पर उतार सके। कवि कहता है कि मेरे देश में मुझे यह चाहिये और राजनेता उसे पूरा करते हैं। किसी कवि ने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि देश के दो टुकड़े होंगे, देश में कश्मीर समस्या बनेगी! लेकिन यह हुआ, और जो बिना कवि की कल्पना के हो वह दुर्घटना ही होती है।
जो राजनेता देश के सपनों को पंख नहीं देता अपितु दुर्घटना में भागीदार बनता है, उसे देश कभी दिल में नहीं बिठाता। कुछ राजनेताओं ने एक मायाजाल बुना और उसमें केवल अपना नाम लिखा। यह अच्छा ही हुआ। कल तक हम कहते थे कि केवल एक परिवार का नाम! आज कह रहे हैं कि अच्छा किया जो एक परिवार का ही नाम लिखा। तुम ही उत्तरदायी हो, केवल तुम ही। तुमने देश को दो टुकड़ों में बाँटकर, कश्मीर को समस्या बनाकर कवि की कल्पना में विष घोल दिया था, उसके उत्तरदायी तुम अकेले ही हो।
जब देश में आजादी की बयार बह रही थी उस समय कवि ने कितने सपने संजोये होंगे! लेकिन उन सपनों पर तुषारापात कर डाला नेहरू-गाँधी ने। जिन्ना ने डराया और गाँधी डर गया! जिन्ना ने कहा कि हमें पाकिस्तान दो नहीं तो मैं सीधी कार्यवाही करूंगा और गाँधी डर गया! जिन्ना ने सीधी कार्यवाही की और तीन लाख लोगों का बंगाल में कत्लेआम करा दिया और गाँधी डर गया! गाँधी नोआखाली में घूमता रहा, डर कर देश को बचाने आगे नहीं आया लेकिन सोहरावर्दी को बचाने नोआखाली में घूमता रहा!
नेहरू-गाँधी डरते रहे और देश बँटता रहा, समस्याओं से लदता रहा, कवि की कल्पना मरती रही। आज कवि ने कहा कि मेरा दर्द सिमट गया, अब फिर नए सपने बुनूंगा और देश की आँखों में भरूँगा। कवि के शब्दों में बहुत बल होता है, वह बूंद-बूंद से घड़ा भरता है और जब घड़ा भरता है तब चारों ओर पानी ही पानी होता है। सत्तर साल से कवि घड़े को भर रहा था, सारा देश पानी ही पानी हो रहा था लेकिन मोदी ने कहा कि कवि थम जा, अपनी लेखनी की शक्ति को अब विश्राम दे, मैं तेरा दर्द समझ गया हूँ और उसने एक छोटी सी गाँठ को खोल दिया, सभी को आजाद कर दिया।
देश पूर्ण बन गया, देशवासियों के सपने पूरे हो गये और विद्रोहियों के सपने चकनाचूर हो गये। अब कवि को विश्राम मिला है। कवि निहार रहा है अब अपने ही देश को, जो कभी उसे सोने नहीं देता था लेकिन आज वह जागकर देश को निहार रहा है। मैं उन सभी कवियों को नमन करती हूँ कि जिनने देश के दिलों को जगाए रखा, सपने को मरने नहीं दिया और आशा को टूटने नहीं दिया। कवि जानता था कि कोई तो आएगा जो हिम्मत जुटा लेगा और कवि को निराश नहीं करेगा। अब कवि नए जोश के साथ देश को सपने दिखाएगा और अपनी आजादी को कैसे बचाकर रखा जाता है उसके लिये भी हमारे अन्दर जोश भरता रहेगा। नमन है तुझको कवि!

8 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 10 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद

अनीता सैनी said...

बहुत सुन्दर लेख
सादर

शिवम् मिश्रा said...

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/08/2019 की बुलेटिन, "मुद्रा स्फीति के बढ़ते रुझानों - दाल, चावल, दही, और सलाद “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

अजित गुप्ता का कोना said...

आभार शिवम् मिश्रा जी

अजित गुप्ता का कोना said...

आभार यशोदा जी

अजित गुप्ता का कोना said...

अनिता जी आभार एवं स्वागत है मेरे ब्लाग पर।

Onkar said...

विचारोत्तेजक लेख

Anita said...

वाह, कितना सुंदर विश्लेषण..कवि सपने देखता है कोई महान नेता उसे पूर्ण करता है..बहुत बहुत अभिनन्दन इस सुंदर आलेख के लिए..