मिट्टी पलीद कराना किसे कहते हैं, यह देखना हो तो
कल राज्यसभा में देखना चाहिये था। मोदीजी हेडमास्टर बने हुए थे और सामने फैल हो
गयी कांग्रेस की क्लास थी। अब मोदीजी डाँट रहे थे कि तुमको इस आसान प्रश्न का भी
उत्तर नहीं आया? सरदार वल्लभ भाई पटेल भी
याद नहीं रहे तुमको! क्लास में केवल हीही करने ही आते हो या कुछ ध्यान से भी सुनते
हो, बस जो मास्टर कहे उसकी खिल्ली उड़ा देते हो! सरदार पटेल तुम्हारे ही नेता थे
ना! हमने कहा था कि यदि ये देश के प्रथम प्रधानमंत्री होते तो आज कश्मीर समस्या
नहीं होती लेकिन यह तो हमारी बात थी, तुम्हें याद नहीं रही तो कोई बात नहीं लेकिन
तुम्हें तो यह भी याद नहीं रहा कि सरदार पटेल ने देश की 563 रियासतों का विलीनीकरण
कराया था, बोलो कराया था या नहीं? यह तो तुम्हें याद है ना! वे तुम्हारे स्कूल के
ही हेडमास्टर थे ना! तो तुम यह भी भूल
गये, परीक्षा में खाली कॉपी छोड़ आए! इसके बाद मोदीजी कुछ नरम पड़े, बोले
कि जो हुआ सो हुआ, लेकिन अब तो सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर जाकर नमन कर
आओ, क्या कहा कि पैसे नहीं हैं तो ऐसा करो कि वहाँ मीटिंग ही रख लो, लेकिन अपने
नेता को याद तो कर आओ। कैमरामेन भी कैमरा घुमा नहीं पा रहा था, एक तरफ चिदम्बरम
मुँह को गोड़े में छिपाये बैठे थे तो दूसरी तरफ गुलाम नबी आजाद और आनन्द शर्मा कई
बार के फैल छात्र की तरह फी-फी करके हँस रहे थे।
मोदीजी ने आगे कहा कि खाली कॉपी छोड़कर आते हो और
कहते हो कि नम्बरों की गणना ठीक नहीं हुई। बेचारी मशीन क्या करेगी? चिल्लाते हो कि
देश हार गया, हिन्दुस्थान हार गया!
साफ-साफ क्यों नहीं बोलते कि पाकिस्तान हार गया! वायनाड़ में तो जीता ना! रायबरेली
में भी जीता ना! हाँ तुम्हारे लिये अमेठी में जरूर हारा! भूल जाओ यह कहना कि
हिन्दुस्तान ही कांग्रेस है और कांग्रेस ही हिन्दुस्तान है। यह स्कूल अब तुम्हारे
नाम से नहीं जाना जाता बहुत सारे नये और होशियार छात्र यहाँ आ चुके हैं। इन
छात्रों ने दुनिया में नाम ऊँचा किया है यहाँ का। बहुत मिट्टी पलीद की रे! जानते-बूझते
भी क्यों ऊल-जुलूल बहस करते हैं और फिर सदन में जब डाँट पड़ती है तो मुँह लटकाकर
बैठ जाते हैं! एकदम से फिसड्डी छात्र हैं, एक भी विषय में पास होने लायक नहीं बस
हेराफेरी में माहिर, झूठ बोलने का कोर्स कर रखा है, गाली देने की तो माँ-बाप ने ही
खुली छूट दे रखी है। ये कब तक छात्र कहलाएंगे? ऐसा ना हो कि इनके स्कूल से ही
निकाल दिया जाए!
उच्च सदन याने कि राज्यसभा! कांग्रेस की सदस्य
संख्या भाजपा से अधिक, लेकिन एक भी मुद्दे की बात नहीं। कहते हैं कि यह सदन
विद्वानों के लिये बनाया है लेकिन यहाँ जो बैठे हैं वे तो केवल धूर्तों की जमात भर
है। एक से एक धूर्त बात यहीं से आती है, ईवीएम का रोना भी यहीं से शुरू होता है,
भाजपा जीत गयी और देश हार गया, यह कथन भी यहीं से आता है। हल्ला मचाना, सदन को
चलने नहीं देना, कुछ भी बोल देना सब कुछ यहीं की देन है। क्या औचित्य है ऐसे सदन
का? जो केवल नकारात्मक सोच के साथ चलते हों! कॉफी
हाऊस हुआ करते थे किसी जमाने में, वहाँ जमावड़ा रहता था तथाकथित
बुद्धीजीवियों का। बस ऐसी की कुटिलता भरी बाते वहाँ होती थी, आज स्वरूप बदल गया है,
मोटी पगार वाले हो गये हैं। लेकिन चरित्र वही है। मोदीजी ने यह भी कहा कि यह मत
समझिये कि आपको कोई नहीं देख रहा है, आपके व्यवहार से चुनाव में हार-जीत नहीं होती
है! जितना आप नकारात्मक बोलेंगे उतना ही हारेंगे। अब आपने तीन साल तक अपने नेता की
तगारी उठाते हुए फोटो का प्रचार किया,
इससे देश का क्या भला हुआ लेकिन हमने कहा कि हाथ धोकर खाना खाना चाहिये तो आपने
विरोध किया! जो शिक्षाप्रद विज्ञापन थे उनका विरोध और जो केवल प्रचार थे उनका
समर्थन! यह आचरण आपको हराता है। खैर मोदीजी की क्लास बहुत लम्बी थी, लेकिन थी
मजेदार। आईना भी दिखा दिया और बता भी दिया कि चेहरे पर धूल होने पर आईने को साफ
नहीं किया जाता। लेकिन मैं दावे से कह सकती हूँ कि ये सारे इतने ठीट हैं कि इनकी
खाल गैंडे की है, कोई असर नहीं। कोई बात नहीं, बार-बार होगी मिट्टी पलीद, हमारा
क्या! हम तो लिख्खाड़ है, फिर लिख देंगे।
2 comments:
वाह ! बहुत सटीक विश्लेषण..देश अब जाग गया है
धन्यवाद अनिता जी।
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