एक तरफ मजदूर बालक खड़ा था तो दूसरी तरफ बार्बी डॉल
लिये बालिका। लालन-पालन का अन्तर, सपनों का अन्तर, जमीनी सच्चाई का अन्तर सामने
था। शायद गरीब बच्चे के पास सपने नहीं होते और अमीर बच्चों के पास सपनों के
अतिरिक्त जमीनी सच्चाई नहीं होती। पोस्ट को पढ़ने के लिये इस लिंक कर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/694-2/
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