Saturday, April 9, 2016

जैसा निर्माण वैसा कर्म

सामाजिक कार्यों में जहाँ महिला कार्य की नितान्त आवश्यकता है वहाँ भी यदि प्रबुद्धता को स्थान ना मिले तो निराशा होती है। अपना आत्मसम्मान बनाये रखना स्वयं का ही उत्तरदायित्व होता है। हमें थोड़ा सा पाने के लिये अपने जीवन की नींव को ही उखाड़ने का कभी प्रयास नहीं करना चाहिये। आपके माता-पिता ने आपका जिस सोच के साथ निर्माण किया है, अपनी तुच्छ सी महत्वाकांक्षाओं में उन्हें बर्बाद ना होने दें। 
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2 comments:

कविता रावत said...

प्रेरक प्रस्तुति।

अजित गुप्ता का कोना said...

आभार कविता जी