Monday, April 4, 2016

गप्प जिन्दाबाद

ढूंढिये खुद को, ढूंढिये अपने आनन्द को, निकाल दीजिये अपने गुबार। फिर देखिये दुनिया को देखने का नजरियां बदल जायेगा। जितनी गप्प मार सकते हैं मारिये, जितना खेल सकते हैं खेलिये। हमारे पास कोई गप्प मारने वाला नहीं है तो यहाँ लिख-लिखकर ही अपनी मन की निकाल लेते हैं, मन को जीवन्त बनाये रखते हैं। जीवन खुशियों से भर जायेगा। बोलिये गप्प जिन्दाबाद। 
पोस्ट को पढ़ने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%97%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%AA-%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6/

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05-04-2016) को "जय बोल, कुण्डा खोल" (चर्चा अंक-2303) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

अजित गुप्ता का कोना said...

आभार शास्त्री जी