Saturday, August 9, 2014

कुछ प्‍यार दे आए और कुछ प्‍यार ले आए

हम बगीचा भूल गए, बगीचे के फूल भूल गए, फूलों की सुगंध भूल गए, बस स्‍मरण रहा कि मकरंद कैसे बनता है। हम सभी इसी मकरंद की तलाश में लगे रहे, कुछ बच्‍चों ने बनाया, कुछ हमने बनाया और बस प्‍याला भर लाए।
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4 comments:

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत सुंदर ..रक्षाबंधन की शुभकामनायें

अजित गुप्ता का कोना said...

आभार सुमन कपूर जी।

BLOGPRAHARI said...

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संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर