Friday, January 17, 2014

पिछोला झील में नाव उतारी - अब कचरा नहीं बचेगा

पिछोला झील में नाव उतारी - अब कचरा नहीं बचेगा
रात को कुछ मनचले भी यहाँ चले आते हैं, मदहोश होने का इंतजाम भी साथ लाते हैं और मदहोशी में भूल जाते हैं बोतलें, प्‍लास्‍टिक की थैलियां और भी ना जाने क्‍या क्‍या। ये सब हमारी झीलों में लाश की तरह तैरता दिखायी देने लगता है। राह चलते लोग भी अपनी आदत से मजबूर, इन झीलों में कचरा डाल देते हैं।
पोस्‍ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/

Thursday, January 2, 2014

कोहरा छाया है, सूरज भैया रजाई में हैं

बस हम जैसे खिटपिटये रजाई से निकल गए हैं और अपने शब्‍दों को जाँचने में लगे हैं कि वे जमे तो नहीं हैं। खिड़की से कोहरे का आनन्‍द लेते हुए शब्‍द धीरे-धीरे सकुचाते हुए बाहर आ रहे हैं।
पोस्‍ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%9B%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C-%E0%A4%AD%E0%A5%88%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%9C/