Wednesday, October 23, 2013

पृथकता और सत्ता की चाहत

प्रत्‍येक व्‍यक्ति पृथक होकर स्‍वतंत्र होना चाहता है क्‍यों? शायद वह स्‍वयं की सत्ता चाहता है। किसी का प्रतिबंध नहीं, किसी का अनुशासन नहीं, किसी की दखलंदाजी नहीं, बस स्‍वयं की सत्ता। देश से लेकर समाज और समाज से लेकर परिवारों में स्‍वतंत्रता और सत्ता की चाहत दिखायी देती है।
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2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
साझा करने के लिए आभार।

अजित गुप्ता का कोना said...

आभार शास्‍त्रीजी।