मैं देखती हूँ कि अक्सर लोग शहर से बाहर जाने पर या काम की व्यस्तता के कारण ब्लाग पर सूचना देते हैं कि हम इतने दिनों के लिए बाहर हैं या फिर व्यस्त हैं। ब्लागिंग के प्रारम्भिक दिनों में मुझे समझ नहीं आता था कि लोग ऐसा क्यों लिखते हैं? किसी को क्या फर्क पड़ेगा कि आप घर में हैं या बाहर? लेकिन अब ब्लागिंग के दस्तूर समझ आने लगे हैं। जैसे किसी बगिया में फूल महक रहे हों या फिर किसी खेत में फसल लहलहा रही हो तब फूलों से मकरंद पीने को मधुमक्खियां और फसल के कीड़े खाने के लिए चिड़ियाएं खेत में आती हैं और उनके चहकने और गुनगुन करने से जीवन्तता आती है। फसल चिड़ियों के गुनगुनाने से ही बढ़ती है। यदि दो-तीन दिन भी चिडिया खेत में या बगीचे में नहीं आए तो मायूसी सी छा जाती है। बागवान और किसान भी ध्यान रखता है कि कौन सी चिडिया खेत में रोज आ रही है और कौन सी नहीं। ऐसे ही ब्लागिंग का हाल है। हमने पोस्ट लिखी, यानी की आपकी पोस्ट आपके ब्लाग पर फसल की तरह लहलहाने लगी है और अब आपको इंतजार है कि चिड़ियाएं आंएं और आपकी पोस्ट पर अपनी गुनगुन करके जाए।
इतनी लम्बी अपनी बात कहने का अर्थ केवल इतना भर है कि आपको ध्यान रहता है कि किस व्यक्ति ने मेरी पोस्ट पर टिप्पणी की है या नहीं। आपको बुरा लगने लगता है कि क्या बात है फला व्यक्ति मेरी पोस्ट पर क्यों नहीं आया? लेकिन वह बेचारा तो आपकी नाराजी से अनजान कहीं अपने काम में व्यस्त है। इसलिए आपकी नाराजी नहीं बने कि हमारे ब्लाग पर मेरी टिप्पणी क्यों नहीं है? इसलिए मैं आपको बता दूं कि मैं आज ग्वालियर जा रही हूँ और वहाँ से तीन दिन बाद वापस आऊँगी। इन दिनों की पोस्ट को मैं मिस करूँगी और मेरी टिप्पणियों का आप। आने के बाद मिलते हैं।
32 comments:
यह गुनगुनाने की बात खूब लिखी है ..आपकी पोस्ट से मुझे भी ब्लोगिंग का दस्तूर समझ में आया ...शुक्रिया
बढिया लिखा है .. इंतजार रहेगा आपका !!
जाओ जी ग्वालियर। एकाध फ़ोटो भी खींच लेना।
ब्लोगिंग की दुनिया और उसके दस्तूर.
क्या खूब कही.
चलिए आपकी यात्रा मंगलमय हो.
हाँ यात्रा संस्मरण सुनना न भूलियेगा
http://rachanaravindra.blogspot.com
बस बस यही बात थी कि मैं भी सिर्फ एक हफ्ते के लिए नेट से दूर थी....पर बता कर गयी...यह तो सच कहा...
"चिड़ियाएं खेत में आती हैं और उनके चहकने और गुनगुन करने से जीवन्तता आती है। फसल चिड़ियों के गुनगुनाने से ही बढ़ती है।"
यह भी जान कर अच्छा ही लगता है...टिप्पणी के लिए ही सही...लोग मिस तो करते हैं...शुभकामनाएं
.रोज कुछ देखने और पढ़ने के आदी हो जाते हैं और इसीलिए इन्तजार रहता है. शुभ यात्रा. फिर शुरू होता है वापसी का इन्तजार.
ब्लागजगत में जो रिवाज सा बन गया है ... "मैं जा रहा हूँ" ... कयास लगने शुरू हो जायेंगे.. ..आपने बड़ी (ब्लोगिंग का दस्तूर)गहरी बात कह दी ...आपकी यात्रा मंगलमय हो .आभार
आपका बात को समझाने का तरीका पसंद आया, यात्रा के लिये शुभकामनाएं.
रामराम
आपकी यात्रा शुभ हो.
आप पुनः वापस आईये।
हम बुरा नहीं मानेंगे :)
अजीत जी सची कहुं तो आज मै यही सोच रहा था ओर वोही बात आप ने लिख दी, धन्यवाद
यात्रा की शुभकामनाये
जी हो आइए. या़त्रा मंगलमय हो.
ग्वालियर के ब्लॉगियर
सुन रहे हैं न
पढ़ तो अवश्य रहे होंगे
होना जरूर मन के नियर
रहना चाहिये गाड़ी का
पहला ऐवन गियर।
मगर किसलिए जा रही हैं ये तो बताया ही नहीं.. मैम.. :(
सारगर्भित विचार
आपकी यात्रा मंगलमय हो
हो आओ जी ग्वालियर
राम राम
चलिये, कोई बात नहीं..आकर पुरानी फसलों पर भी इक्ठठे गुनगुना जाईयेगा. :)
शुभ यात्रा.
इस पोस्ट में यात्रा की शुभकामना देने से ज्यादा कुछ नही कह सकते
Ajeet jee, chaar din baad hi sahi......par aana, hamare blog pe!!
abhi se yaad dila raha hoon..:)
Ajeet jee, chaar din baad hi sahi......par aana, hamare blog pe!!
abhi se yaad dila raha hoon..:)
आपकी यात्रा शुभ हो.......!!!
यात्रा की शुभकामनायें और यह रही मेरी टिप्पणी ! यात्रा से लौटते ही मेरी टिप्पणी का ख़याल रखना ?
bahut badhiya |shubh yatra
ajit mem ,
pranam !
aap ki yatra skusal rahe , aur jab aap vaspis blogging ki dunia me lout to humer apni yaatra vritant bhi sunae .
happy journy.
saadar
शुभ यात्रा। संभव हो,तो वहां थोड़ा समय ब्लॉगरों को दें और लौटने के बाद वह संस्मरण पोस्ट करें। इस तरह,आप ब्लॉगिंग से दूर रहते हुए भी,एक प्रकार से जुड़ी ही रहेंगी।
दीपकजी ने पूछा है कि मैंने बताया नहीं कि मैं क्यों ग्वालियर जा रही हूँ तो अब वापस आकर बताए देती हूँ। वहाँ एक मीटिंग थी, भारतीय विचारधारा के लिए जो महिलाएं अखिल भारतीय स्तर पर कार्य कर रही हैं वे वर्ष में एक बार ऐसी ही मिटिंग करते हैं जिससे देश में होने वाले सकल कार्यों से परिचित हुआ जा सके। अब वापस आ गयी हूँ लेकिन फिर 2 तारीख को हरिद्वार जाना है। इसलिए कुछ अनियमितता बनी रहेगी। क्षमा करना।
ये गुनगुनाना और टिप्पियाना तो चलता रहता है चलता रहेगा ...
जन्माष्टमी और पर्युषण पर्व की शुभकामनायें!
मेरे विचार में ब्लोगिंग के शुरूआती दौर में आपका सोचना उचित रहा | यदि कोई ब्लोगर कुछ दिन, कुछ सप्ताह या कुछ माह भी किसी कारणवश ब्लॉगजगत से दूर रहे तो आभासी परिचय क्षेत्र ने उनकी अगली पोस्ट की प्रतीक्षा करनी चाहिए | वैसे मुझे इस बात की खुशी है कि आपने अपनी अनुपस्थिति की सूचना जिस शैली में दी है , वह सूचना ही एक उत्कृष्ट पोस्ट बन गयी है | उसी के अनुसार टिप्पणियाँ भी आनी चाहिए - केवल यात्रा की शुभकामना दे देने या लौटने की प्रतीक्षा करने की बात करने से ब्लॉगजगत का कुछ भला नहीं होगा |
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वापसी पर आपका स्वागत है। ग्वालियर में मेरा घर है।
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