उदयपुर का सबसे पुराना बाग है यह गुलाब-बाग। यहाँ जो बिल्डिंग दिखायी दे रही है वह सरस्वती पुस्तकालय की है। यहाँ एक जू भी है और बच्चों के लिए एक रेलगाड़ी भी चलती है।
यह एक अन्य पार्क है जिसे माणिक्य लाल वर्मा गार्डन कहते हैं। पास में ही दूध-तलाई है और इसी के एक पहाड़ी पर है दीनदयाल पार्क। यहाँ पर म्यूजिकल फाउण्टेन है और रोप-वे भी है जो दूसरी पहाड़ी पर स्थित करणीमाता मन्दिर तक जाता हैं। यहाँ से पूरे उदयपुर को देखा जा सकता है।
उदयपुर में एक सांस्कृतिक केन्द्र भी है जहाँ दिसम्बर में शिल्प ग्राम मेले के नाम से दस दिवसीय मेला भरता है। उसी मेले में कठपुतलियों का प्रदर्शन।
उदयपुर से 100 किमी की दूरी पर एक ऐतिहासिक जैन मन्दिर है – राणकपुर। इसकी भव्यता यहाँ आकर ही देखी जा सकती है क्योंकि अन्दर के चित्र लेना मना है।
हमारे घर से होकर जा रहा है रास्ता सज्जन गढ़ का। आप पैदल भी जा सकते हैं और गाड़ी से भी। मेरे पतिदेव सुबह-सुबह पैदल ही चढ़ गए इस चढ़ाई पर।
अब बताइए कैसा लगा उदयपुर का छोटा सा भ्रमण। अभी केवल यह समुद्र की एक बूंद है। आप लोग आएं तब जानेंगे कि उदयपुर क्या है? यहाँ का इतिहास और शौर्य की गाथाओं से यह क्षेत्र पटा पड़ा है। उसे एक पोस्ट में नहीं लिखा जा सकता, बस एक झांकी है।
38 comments:
jaroor aana chahunga. bahut hi khoobsurat shahr hai
अजित जी,
आप खुशकिस्मत हैं जो झीलों की नगरी में आपका आशियाना है...बहुत अच्छी लगी है उदयपुर की ये सैर...ऊपर वाले ने चाहा तो ज़रूर कभी उदयपुर की खूबसूरती से दो-चार हूंगा...वैसे परिवार आपका ब्लॉगवुड भी है...जैसे आपके घर के सदस्य आपको मिस कर सकते हैं, वैसे ही हम सब ब्लॉगर भी करते हैं...इंतज़ार है आपकी लेखनी से किसी और सार्थक बहस का...
जय हिंद...
Bahut chittakarshak tasveeren.Punah janeka man ho raha hai.Barson pahle gayi thi lekin bahut thoda samay mila tha dekhne ke liye!
चित्रों के साथ बढ़िया रिपोर्ट ....कभी मौका लगा तो ज़रूर आयेंगे ...पर उदयपुर देखने से ज्यादा आपसे मिलने की ख्वाहिश ले कर . :):)
अरे! जब मेरी ममा हैं.... तो किस बात की फ़िक्र....मैं आ रहा हूँ... ममा...
तस्वीरों के लिये आभार
आपने सही कहा जी तस्वीरों से कहां सबकुछ बयां होता है, कभी आयेंगें जी
आपके शहर झीलों की नगरी में
प्रणाम
घर बैठे ही उदयपुर के दर्शन कराने का धन्यवाद । अब लगता है उदयपुर घूमने का मन बनाना ही पड़ेगा...
ऐसे तो ये खूबसूरत शहर कई बार देखा है ..पर आपके साथ देखने कि तमन्ना तो हमेशा रहेगी ..
उदयपुर दो बार हो आया हूँ -पहलीबार सहेलियों की बाडी देखी थी तो झरनों में इन्द्रधनुष उतर आया था ...अनिर्वचनीय दृश्य था जयसमंद लेक भी गया ,,
दूसरी बार ५ वर्ष पहले गया -झरना पानी विहीन था -इन्द्रधनुष गायब ..जयसमंद की भी दुर्दशा -दुबारा हिम्मत नहीं है अपने सपनो को ध्हहते देखना
बढिया चित्र। आभार॥
पास ही तो है ...कभी भी आ जायेंगे ...
वैसे दो बार आ चुके हैं ...सज्जनगढ़ का किला देखना रह गया था ...आपने दिखा दिया ..
मुझे सिटी पैलेस बहुत पसंद आया ...विशेषकर शीश महल ...पिछोला (नाम ठीक तो याद है ना )से होकर आती ठंडी हवाएं भरी गर्मी में भी हिल स्टेशन-सा आभास देती हैं ...!
maananeeya ajit ji,mere bharat aagman par aapke udgaron ke liye dhanyawad.meri prastavit patrika ka bhavishya aaj aapki shubhkamnaon ne sanwar diya hai. aabhari hoon. sampark karoonga.
अरविन्द मिश्रा जी, जब आप उदयपुर आकर गए थे बस उस के बाद ही सारी झीले लबालब भर गयी थी और वैसे ही सहेलियों की बाडी में फव्वारे चल पड़े थे। इस बार बारिश आ रही है और उम्मीद भी है कि झीले भर जाएगी। पाँच साल पहले जैसी स्थिति अब उदयपुर की नहीं है। जयसमन्द में भी पानी है। एक बार आप आएंगे तो हो सकता है कि इस बार भी खूब पानी आ जाए।
बेहद खूबसूरत तस्वीरें हैं. लगता है कि आना ही पड़ेगा....
achchha laga aapke Udaypur me aakar, beshak aapke dwara liye gaye photos ke through hi aa paye hain..........:)
Udaypur 1987 me aya tha. Vahan ki foto abhi tak mere pas hain. kuchh dinon ke bad "chalti ka nam gadi" par yatra sansmaran aane vala hai.
Ab jab kabhi bhi udaypur ayenge to apake darshan avashya karenge.
aabhaar
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति ..शानदार प्रस्तुती ..
अच्छा लगा १७ साल दोबारा उदयपुर घूमना आपके साथ ।
लेक पैलेस और किले की भी तस्वीरें होती तो और भी अच्छा लगता ।
बहुत खूबसूरत लेख लगा आज आपका ! कई साल पहले गया था उदयपुर वाकई बहुत खूबसूरत है शुभकामनायें !
यह तो बड़े खुशी की बात है -बनाते है प्रोग्राम !महफूज भाई हो आयें ,ठीक बाद !
अनेक बार उदयपुर आये, सभी जगहें देखीं, वाकई बहुत सुंदर शहर है आपका. वहां एक ओपन थियेटर भी तो है जहां कठपुतली के खेल भी दिखाये जाते हैं. बच्चों की सबसे पसंदीदा जगह, और पैडल बोट चलाने का अलग ही आनंद होता था.
देखें कब आना होता है अब. हां वहां एक ब्लागर सम्मेलन करवाया जा सकता है बहुत जबरदस्त उपस्थिति रहेगी, अरविंद मिश्र जी भी तैयार हो जायेंगे.
रामराम.
उदयपुर तो अनेक बार जान हुआ पर अभी काफी दिनों से एक भी चक्कर वहां का नहीं लग सका. आपके माध्यम से एक बार सारी यादें ताज़ा हो गयी. आपको बहुत सारी बधाइयाँ उदयपुर की घर बैठे सैर करने के लिए
बहुत खूबसूरत शहर है मैडम आपका। बहुत सुन्दर चित्र हैं, आभार।
बहुत सुंदर लगा आप का उदय पुर, लेकिन सब से अच्छी फ़ोटो लगी आप के परिवार की. धन्यवाद
अरे वाह वाह . जी वाह वाह....क्या कहने आपका निमत्रंण भी सितम्बर के बाद.मेरा भी सितम्बर में हेहेहेहे....बड़ो की आज्ञा सिर आंखो पर....सितंबर आने ही वाला है.....हो सका तो तीन चार ब्लॉगर खींच लाउंगा......
आपने मेरे निमत्रंण पर किराए की बात कही थी...एक बार जरा मेरा ब्लॉग पर देख लीजिएगा टिप्पणी में में जी अपना एक दुख रखा है....देखिएगा नहीं तो नहीं आउंगा...
अब तो पक्का आना ही पड़ेगा...वैसे भी आना ही था. :)
नजदीक होते हुए भी कभी उदयपुर जाना न हुआ। सोचते हैं जल्दी ही जाया जाए।
वाह, बहुत सुन्दर शहर है। कभी न कभी तो आयेंगे ही। धन्यवाद!
प्रशिक्षण के समय तीन माह बिताये हैं उदयपुर में। सुन्दर चित्र देखकर यादें पुनः हिलोरें लेने लगीं।
उम्दा पोस्ट के लिए धन्यवाद
ब्लॉग4वार्ता की 150वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है
अजीत गुप्ता जी,
19 जुलाई की शाम को मैं उदयपुर में पहुंच जाऊंगा और 20 की शाम को वापस चला आऊंगा।
अब आप यह बताइये कि आपसे मिलना कैसे हो?
सॉरी, माफ करना,
19 अगस्त को आ रहा हूं उदयपुर।
main to kab se soch rahi hoon rajsthan ghumne ki..aapki tasveeron ne to hook badha di :)
वाह अजित जी कमाल की तस्वीरें हैांअपके उदयपुर की मुझे कुछ तस्वीरों देख कर अमेरिका की 17 माईल ड्राईव की याद आ गयी अब आप ही बतायें इन्हें देख कर कौन नही आना चाहेगा? बस आप तैआर रहें आपके हाथ के बने दही बडे खाने का फिर से सौभाग्य मिलेगा। शुभकामनायें
वाह अजित जी कमाल की तस्वीरें हैांअपके उदयपुर की मुझे कुछ तस्वीरों देख कर अमेरिका की 17 माईल ड्राईव की याद आ गयी अब आप ही बतायें इन्हें देख कर कौन नही आना चाहेगा? बस आप तैआर रहें आपके हाथ के बने दही बडे खाने का फिर से सौभाग्य मिलेगा। शुभकामनायें
इन मोहक तस्वीरों को देख कर ,उदयपुर और जोड़ लिया उन स्थानों में जहाँ भारत पहुँचने पर जाना है .
वैसे राजस्थान कई बार गई ,वहाँ की बात ही कुछ और है जो और कहीं नहीं .और फिर आपसे मिलने का आकर्षण भी!
वाक़ई बहुत खूबसूरत तस्वीरें हैं। कौन न आना चाहेगा यहाँ?
बहूत सुंदर प्रस्तुति है... सौभाग्य हुआ तो अवश्य आयेंगे... चित्रों को साझा करने और बहुमूल्य जानकारी के लिए धन्यवाद्
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