तुम्हारे पास क्या है? मोदी पूछ रहे थे! हमारे
पास स्वर्ग जैसे देश हैं, हम पूर्ण विकसित हैं। अमेरिका, फ्रांस सरीखे विकसित देश
बता रहे थे और फिर प्रतिप्रश्न करते हैं कि तुम्हारे पास क्या है? भारत देश के लोग कहते हैं कि हमारे
पास कृष्ण हैं! एक तरफ सात देश साथ खड़े थे, दुनिया को बता रहे थे कि हमारे देश स्वर्ग हैं, हम दुनिया
को बताने एकत्र हुए हैं कि कैसे धरती को स्वर्ग जैसा बनाया जा सकता है। क्योंकि
हमारे पास अनुभव है। लेकिन इन समृद्ध लोगों की चिंतन बैठक में भारत जैसे उदीयमान
देश के प्रधानमंत्री को सुझाव के लिये बुलाया जाता है, मानो कृष्ण को बुलावा भेजा
हो कि आओ और दुनिया को अपने परामर्श से अवगत कराओ।
एक तरफ सात समृद्ध देशों का जमावड़ा था तो दूसरी
तरफ गरीब माने जाने वाले देश के प्रधानमंत्री को सादर आमंत्रण था! आमंत्रण भी
परामर्श देने के लिये था! मोदीजी बोल रहे थे और सब सुन रहे थे। मोदीजी ताल ठोक रहे
थे, ट्रम्प को प्यार से धौल जमा रहे थे और ट्रम्प हँस रहे थे! कितनी विचित्र बात
लग रही थी!
मोदीजी के पास ज्ञान का अकूत भण्डार है, यह मोदीजी
का ज्ञान शुद्ध भारतीय ज्ञान है। गीता से, पुराणों से लिया हुआ ज्ञान। जब दुनिया
सभ्यता के मायने ढूंढ रही थी तब भारत के ऋषियों ने सृष्टि के लिये ज्ञान के भण्डार
भर दिये थे और मोदीजी इन भण्डारों को आत्मसात कर लिया था।
पर्यावरण की रक्षा कैसे की जाती है? स्वास्थ्य की
रक्षा कैसे की जाती है? शिक्षा कैसी होनी चाहिये? मानवता की ही नहीं अपितु
सम्पूर्ण चराचर जगत की रक्षा कैसे हो? इन सारे ही विषयों का ज्ञान हमारे पुराणों
में है और मोदीजी इसके मास्टर बन चुके हैं। मोदीजी दुनिया के सामने इस ज्ञान के
भण्डार का एक बूंद भी टपकाते हैं तो वे सारे धन्य हो जाते हैं। ज्ञान का यह प्रकार
दुनिया के लिये अनोखा है और ज्ञान देने का प्रकार भी अनोखा है इसलिये दुनिया को
मोदी कृष्ण लगने लगे हैं। वे कहते हैं कि आओ और प्रबंधन का नवीन ज्ञान हमें बताकर
जाओ।
मैं मोदी के आमंत्रण को समझने का प्रयास कर रही
हूँ। भला सात समृद्ध देश किसी ऐसे देश को आमंत्रण क्यों देंगे जिसे कल तक गरीब देश
कहा जाता था। जिसके पूर्व प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति से हाथ मिलाने में
भी गौरव का अनुभव करते थे और आज हमारे प्रधानमंत्री धौल जमा रहे हैं! आश्चर्य होता
है! ऐसा लग रहा है मानो समृद्धता बौनी हो गयी हो और ज्ञान कृष्ण जितना विशाल बन
गया हो! हम कहते रहे हैं कि भारत एक दिन पुन: विश्वगुरु बनेगा! आज इस बैठक में
मोदीजी की उपस्थिति इस बात को पुष्ट करती है।
क्या नहीं था हमारे पास! लेकिन हमने अपने मॉडल को
नहीं चुना अपितु ऐसे मॉडल को चुना जो विश्व के गरीब देश भी नहीं चुनते! सारे देश
को कचरा पात्र बना दिया! सारी जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने की योजनाएं लागू
कर दी! हमारी दिनचर्या, रात्रिचर्या दूषित बना दी गयी। जो कहीं नहीं होता, ऐसा
फूहड़ प्रदर्शन हमारे देश में होने लगा। मानो हम स्वयं ही खुद को समाप्त करने में
जुट गये। सारा देश कचरे का पात्र हो गया। अस्पतालों में लम्बी-लम्बी कतारे लग
गयीं। भिखारियों की बाढ़ आ गयी। धरती प्यासी हो गयी, नदियां गन्दगी से पट गयी
लेकिन हमारे राजनेता पैसों के ढेर पर बैठ गये। इन राजनेताओं और अधिकारियों ने
अपने-अपने किले बना लिये और किले के बाहर गरीबी का ताण्डव होता रहा। कभी आरक्षण के
नाम पर टुकड़े फेंक दिये गये तो कभी गरीबी के नाम पर!
लेकिन आज मोदी युग आया है, मानो चन्द्रगुप्त का
राज स्थापित हुआ हो, धनानन्द जैसे क्रूर शासक को हटाकर। दुनिया भी देख रही है, इस
ज्ञानवान मोदी को जो भारतीय पद्धति से देश को सभ्य बनाने में लगा है। सारी दुनिया
आशा भरी नजरों से मोदी को देख रही है और स्वर्ग के इन्द्र कहे जाने वाले नेता भी
मृत्यु लोक से कृष्ण को निमंत्रण देने लगे हैं। अब दुनिया का मॉडल बदलेगा। अकेले
मानवता को बचाने से मानवता नहीं बचती अपितु प्राणी मात्र की रक्षा करने से मानवता बचती
है, यह मोदीजी सिखा रहे हैं और शाकाहार का पाठ पढ़ा रहे हैं। एक तरफ धर्म के नाम
पर लाखों-करोड़ों पशुओं का कत्ल हो रहा हो तब मानवता के लिये भी खतरा पैदा हो जाता
है, यह बात मोदी समझा रहे हैं। वे मेन वर्सेस वाइल्ड में भी यही संदेश देते हैं कि
सृष्टि में हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिये। हम रक्षक बने ना कि भक्षक। हमें
मोदीजी पर नाज है कि वे भारत के ज्ञान को पुन: प्रस्फुटित कर रहे हैं और दुनिया को
बाँट रहे हैं। आभार मोदी जी।