कुछ लोगों का जीवन अपने परिवार तक सीमित होता है,
उनके लिये ही सारा खटराग रहता है। लेकिन कुछ लोग अपने मन को भी टटोलते रहते है और
वे कभी परिवार से इतर अपने मन की इच्छाओं को भी पूर्ण करना चाहते हैं। इसके लिये
वे साहित्यिक, राजनैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक आदि अनेक क्षेत्र हैं जिसमें वे
स्वयम् को तलाशते हैं। जीवीकोपार्जन के अतिरिक्त ऐसे लोग इन से सम्बन्धित संस्थाओं
में अपनी जगह ढूंढते हैं। समय की उपलब्धता के हिसाब से वे अपना मन बनाते हैं।
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