मुझे लगता है जब आप एक स्थान पर हैं और वहाँ से आप अपने ध्येय की पूर्ति
करने में सक्षम नहीं हो पाते तब उस स्थान को जितनी जल्दी हो छोड़ ही देना चाहिए।
जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा। पोस्ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A5%9C-%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%87-%E0%A4%A4%E0%A5%82-%E0%A4%97%E0%A5%80/
श्रीमती अजित गुप्ता प्रकाशित पुस्तकें - शब्द जो मकरंद बने, सांझ की झंकार (कविता संग्रह), अहम् से वयम् तक (निबन्ध संग्रह) सैलाबी तटबन्ध (उपन्यास), अरण्य में सूरज (उपन्यास) हम गुलेलची (व्यंग्य संग्रह), बौर तो आए (निबन्ध संग्रह), सोने का पिंजर---अमेरिका और मैं (संस्मरणात्मक यात्रा वृतान्त), प्रेम का पाठ (लघु कथा संग्रह) आदि।
Wednesday, June 17, 2015
Monday, June 15, 2015
यह दो मिनट का लेखन और पठन धीमा जहर ही है
मुझे लग रहा है कि
फेसबुक से दूर हो जाना चाहिए। या फिर उन लोगों से तो अवश्य ही दूरी बना लेनी
चाहिए जो असभ्य और अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। ब्लाग लेखन में इतनी
अमर्यादा नहीं है, यहाँ कुछ भाषा के प्रति सभ्यता शेष है। पोस्ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%AF%E0%A4%B9-%E0%A4%A6%E0%A5%8B-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%9F-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A4%A8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A4%A0%E0%A4%A8-%E0%A4%A7%E0%A5%80/
Subscribe to:
Posts (Atom)