Thursday, May 30, 2013

Old Age Home - वृद्धाश्रम


अभी कुछ दिन पूर्व अग्रवाल समाज के एक कार्यक्रम में नीमच जाने का अवसर मिला। युवाओं की स्‍वयंसेवी संस्था ने सुविधा युक्‍त वृद्धाश्रम का निर्माण कराया था। मुझे कार्यक्रम के साथ उस वृद्धाश्रम का अवलोकन भी कराया गया था। शहर से दूर, बहुत ही सुन्‍दर स्‍थान पर 20-22 बुजुर्गों के रहने के लिए स्‍थान बनाया गया था। पृथक कक्ष, डोरमेट्री, भोजनशाला आदि की समुचित व्‍यवस्‍था थी। पोस्‍ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/old-age-home-%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE/

Saturday, May 18, 2013

आखिर माँ लौट आयी

सूरज ढल चुका था, सारे ही पक्षी अपने बसेरों में आ चुके थे। बोगेनवेलिया से चीं-ची की आवाजें तेज होने लगी, मुझे लगा कि माँ लौट आयी है। सारा दिन बच्‍चे अकेले रहे थे। ना दाना और ना पानी। अपनी सुरक्षा भी बोगेनवेलिया के पत्तों के बीच छिपकर की थी। आज सुबह ही मेरे बगीचे में दो गौरैया के बच्‍चे अपनी माँ के साथ आए थे।
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Wednesday, May 15, 2013

नानी का घर या सैर-सपाटा

हम सभी के बचपन की यादों में नानी का घर है। जैसे ही गर्मियों की शुरुआत हुई, स्‍कूल-कॉलेज बन्‍द हुए और चल पड़े नानी के घर। एक महिना या दो महिना, बस सारी ही नानियों के घर आबाद रहते थे। मामा के बच्‍चे, मौसी के बच्‍चे सभी मिलकर एक-दो महिना जो धूमधड़ाका करते थे वह यादें किसी के भी जेहन से जाती नहीं। भरी गर्मी में ना पंखे थे और ना ही कूलर, एसी क्‍या होता है तब तक नाम भी नहीं पैदा हुआ था।
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