कल मेरा याहू अकाउण्ट हैक हो गया परिणाम स्वरूप मेरे सारे ही कांटेक्टस समाप्त हो गए। यह तो किसी हैकर का कमाल था लेकिन हमारी सरकार द्वारा तो गूगल को प्रतिदिन चेतावनी दी जा रही है कि हम गूगल की सर्विस को बन्द कर देंगे। इसलिए मैंने भी एक परिवर्तन करने का निश्चय कर लिया। मैंने एक वेबसाइट प्रारम्भ की है – www.sahityakar.com इसी पर वर्ड-प्रेस के माध्यम से अपना ब्लाग वहाँ शिफ्ट किया है। अभी ब्लागस्पाट पर भी मेरा ब्लाग रहेगा लेकिन धीरे-धीरे मैं पूर्णतया अपनी वेबसाइट पर ही आ जाऊँगी। अत: आप सभी से निवेदन है कि आप मेरी साइट पर जाकर मुझे सबस्क्राइब करें। जिससे आप मेरी पोस्ट पढ़ सकें और हम एक दूसरे से सम्पर्क में रह सकें। आभार।
श्रीमती अजित गुप्ता प्रकाशित पुस्तकें - शब्द जो मकरंद बने, सांझ की झंकार (कविता संग्रह), अहम् से वयम् तक (निबन्ध संग्रह) सैलाबी तटबन्ध (उपन्यास), अरण्य में सूरज (उपन्यास) हम गुलेलची (व्यंग्य संग्रह), बौर तो आए (निबन्ध संग्रह), सोने का पिंजर---अमेरिका और मैं (संस्मरणात्मक यात्रा वृतान्त), प्रेम का पाठ (लघु कथा संग्रह) आदि।
Tuesday, January 31, 2012
Wednesday, January 18, 2012
अतीत हमें वर्तमान में जीने नहीं देता
जिस किसी भी व्यक्ति के पास या देश के पास अपना अतीत नहीं होता वह वर्तमान में ही जीता है और भविष्य की कल्पना करता है लेकिन जिसके पास अतीत होता है वह अतीत में ही डूबा रहता है। वह वर्तमान में भी नहीं जी पाता और ना ही अपना भविष्य बना पाता है। एक बच्चे के पास उसका अतीत नहीं होता, वह वर्तमान को पूरी तरह से जीना चाहता है। प्रत्येक नयी वस्तु को पाना चाहता है। उसे पता नहीं होता कि अतीत क्या होता है? लेकिन इसके विपरीत एक प्रौढ़ व्यक्ति के पास उसका अतीत होता है इसी कारण वह अतीत में ही डूबा रहता है। अतीत के अनुभव उसे भविष्य की कल्पना भी नहीं करने देते। बच्चे के सामने एक नयी चमचमाती कार है, वह उसे पाने की कोशिश करता है। उसे पता नहीं कार के पहले भी कुछ था क्या। लेकिन इसके विपरीत उसके पिता ने कार के पहले का जीवन भी देखा है, कार से होने वाली दुर्घटनाएं भी देखी हैं तो वह अपने अतीत में चले जाता है और किशोरवय पुत्र को कार से दूर रहने को कहता है। किशोर अवस्था से युवावस्था में कदम ही रखा होता है कि विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण पैदा हो जाता है। बस उसे आकर्षण का मालूम है उसका इतिहास मालूम नहीं। लेकिन उसके माता-पिता को मालूम है। वह अतीत का भय उसे दिखाते हैं। सोच समझकर कदम रखने की सलाह देते हैं। ऐसे ही कितने उदाहरण है। इसी अतीत के कारण नए और पुराने का द्वंद्व बना रहता है।
ऐसा ही देशों के साथ भी होता है। सम्प्रदायों के साथ भी होता है। भारत देश का स्वर्णिम अतीत रहा है इसलिए यहाँ के लोग केवल अतीत में ही जीते हैं। वे वर्तमान को भी उसी तराजू में तौलते हैं और भविष्य की कल्पना में भी अतीत को ही ले आते हैं। इसके विपरीत जिन देशों का अतीत नहीं है वे केवल वर्तमान में जीते हैं और भविष्य को कैसे सुखी रखे बस इसकी कल्पना करते हैं। लेकिन अतीत हमेशा हानिकारक ही नहीं होता। अतीत से अनुभव आता है और हमें सही मार्ग चुनने का रास्ता मिलता है। इसलिए दोनों पीढियां एक दूसरे का सम्मान करते हुए अपना मार्ग तय करें तो शायद हम सभी का भविष्य ज्यादा सुरक्षित रह सकता है। भारत भी यदि दूसरे देशों से वर्तमान में जीना सीख लें तो भारत का भविष्य भी ज्यादा सुखी हो सकता है। इस विषय के अनेक पहलु हैं, जब आप पढ़ेंगे तो लगेगा कि बहुत कुछ छूट गया है। मैंने चलाकर ही छोड़ा है, जिससे आप सभी अपने अनुभवों से इसे पूरा कर सकें।
( विशेष – बहुत दिनों से कोई पोस्ट नहीं लिखी थी, इसलिए यह संक्षिप्त सी पोस्ट प्रेषित कर रही हूँ )
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