बहुत दिनों पूर्व एक कहानी पढ़ी थी, अकस्मात उसका स्मरण हो आया। कहानी कुछ यूँ थी – एक व्यक्ति एक गाँव में जाता है, एक परिवार का अतिथि बनता है। उस परिवार में विवाह योग्य एक लड़की है लेकिन वह बहुत ही कमजोर और बीमार से थी इस कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा है। उस गाँव में एक प्रथा थी कि विवाह के समय लड़का जिस भी लड़की से विवाह करना चाहता था, वह उस लड़की को अपनी सामर्थ्य के अनुसार गाय भेंट में दिया करता था। जितनी गायें दी जाती थी समझो लड़की उतनी ही सुन्दर है। उस असुन्दर लड़की के भविष्य की चिंता करते हुए वह व्यक्ति गाँव से लौट आया। कुछ बरसों बाद वह व्यक्ति पुन; उस गाँव में गया। इस बार वह एक युवक के यहाँ अतिथि था। उस युवक ने कुछ समय पूर्व ही विवाह किया था और अपनी होने वाली पत्नी को 100 गायें भेंट में देकर विवाह किया था। निश्चित ही वह लड़की सुंदरता में सानी नहीं रखती होगी। युवक ने कहा कि मैंने इस गाँव की सबसे सुन्दर लड़की से विवाह किया है। उस व्यक्ति को उसकी पत्नी को देखने की उत्सुकता बढ़ गयी। कुछ ही देर में एक लड़की घर के अन्दर से उस अतिथि के लिए शरबत बनाकर लायी। वास्तव में वह बहुत ही सुन्दर थी। अतिथि ने उसे पास से देखा और देखकर उसे लगा कि इसे मैंने पहले कहीं देखा है। उसकी मुखमुद्रा देखकर उस युवक ने बताया कि यह वही लड़की है जिसे कभी असुन्दर कहा जाता था।
आखिर यह चमत्कार कैसे हुआ? अतिथि की जिज्ञासी बढ़ चुकी थी। युवक ने कहा कि मैं चाहता था कि मेरी पत्नी इस गाँव की सुन्दरतम लड़की हो इसलिए मैंने इस लड़की को पसन्द किया और उसे 100 गायें भेंट में दी। इस लड़की का आत्मविश्वास लौट आया और आज यह आपके समक्ष खड़ी है।
इसी संदर्भ में एक बात और ध्यान आ रही है कि आप देखते होंगे कि जब युवक और युवतियां शिक्षा ग्रहण कर रहे होते हैं तब अक्सर वे सामान्य ही दिखते हैं। बहुत ही कम युवा ऐसे होते हैं जो खूबसूरत दिखते हैं। साधारण परिवार के युवा अक्सर साधारण ही दिखते हैं। लेकिन जैसे ही उन्हें नौकरी मिलती है, उनके चेहरे पर एक चमक आ जाती है। विवाह के बाद तो यह चमक दुगुनी हो जाती है। ऐसा क्यों होता है? शिक्षा लेते समय हम परिवार के अधीन होते हैं और हमेशा हमारा आकलन कम ही किया जाता है। 90 प्रतिशत नम्बर आने के बाद भी कहा जाता है कि नहीं और मेहनत करो। हमारे जमाने में परिवार में अविवाहित बच्चों की कोई विशेष कद्र नहीं होती थी, आज अवश्य वे वीआईपी बने हुए हैं। लेकिन आज भी उनके परामर्श को बहुत गम्भीरता से नहीं लिया जाता इसलिए उनके अन्दर स्वाभिमान जागृत ही नहीं हो पाता है।
लेकिन जब ये ही युवा नौकरी पर जाते हैं और वहाँ बहुत सारे निर्णय स्वयं को करने होते हैं तब उनका आत्म सम्मान जाग उठता है और उनका व्यक्तित्व निखर उठता है। इसी प्रकार विवाह हो जाने के बाद लड़के और लड़की दोनों को ही कोई चाहने वाला मिल जाता है इस कारण उनका व्यक्तित्व निखर जाता है।
एक बात आप सभी ने गौर की होगी कि जब भी परिवार में या मोहल्ले में कोई भी नव-वधु आती है तब उसे बच्चे घेरे रहते हैं। कोई घूंघट के अन्दर झांकने के लिए नीचे झुकता है तो कोई समीपता पाने के लिए एकदम पास आकर बैठता है। हमने भी ऐसा ही किया था और हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ था। नव-वधु की कल्पना हमारे अन्दर बसी हुई है। साड़ी में लिपटी हुई, हाथ चूड़ियों से भरे हुए, माथे पर सिंदूर, गहने और चेहरे पर नवीनता। हमारे देश में एक लड़की का यही रूप बरसों तक रहता है। पुराने जमाने में तो जीवन भर यही रूप रहता था। पूरे घर में नवीनता रहती थी। शायद ही कोई वधु ऐसी हो जो दिखने में कुरूप लगती हो, सभी पहनने-ओढने के बाद सुन्दर ही दिखती थी।
लेकिन अब युग बदल गया है। नयी-वधु की सुन्दरता एक दो दिन से ज्यादा रहती नहीं। उसकी साड़ी, उसकी बिन्दी, चूड़ियां सभी गायब हो जाती है। एक साधारण सी लड़की में बदल जाता है उसका व्यक्तित्व। कई बार तो लगता है कि यह लड़की विवाह के पूर्व ही ज्यादा सलीके से रहती थी। एक बार मैंने एक लड़की से पूछ लिया कि बिन्दी क्यों नहीं लगाती हो? तो कहने लगी कि मैं ही विवाहित क्यों दिखायी दूं जबकि लड़कों के भी तो कोई विवाहित होने का चिन्ह नहीं होता? बात तो उसकी जायज थी लेकिन अविवाहित क्यों दिखना चाहती हैं, इस बात का उत्तर नहीं था। क्या अवसर मिलते ही दूसरा विवाह करने की फिराक में है? या विवाह होने के बाद भी विवाहेत्तर सम्बन्ध बनाने में परहेज नहीं है? मुझे इस प्रश्न का उत्तर समझ नहीं आता कि आखिर लड़कियां विवाह के बाद भी अविवाहित ही दिखना क्यों चाहती हैं? वे साधारण सी लड़की क्यों बनी रहना चाहती हैं? मुझे तो पहनी-ओढी वधुएं बहुत अच्छी लगती हैं, जब मेरी बहु और बेटी किसी विवाह समारोह के लिए सजती हैं तो कितनी प्यारी लगती हैं लेकिन आम दिनों में? मैं मानती हूँ कि आजकल नौकरी का दवाब इतना है कि बस जेसे-तैसे काम चला लिया जाता है। लेकिन नौकरी तो हमारे जमाने में भी होती थी, फिर ऐसा क्या हो गया आज? इसका उत्तर मेरे पास नहीं है, शायद आप लोगों के पास हो।