Sunday, December 2, 2012

लिखना, पढ़ना और टिपियाना

लिखना, पढ़ना और टिपियाना - इस पोस्‍ट को पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक पर जावें। 
http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%96%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%AA%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE/

2 comments:

  1. आजादी टिप्पणी की, फिर करना क्यूँ खेल ।

    तथ्य समाहित हों अगर, तभी भेजिए मेल ।

    तभी भेजिए मेल, उठा पढ़ने की जहमत ।

    अगर लगे उत्कृष्ट, यथोचित दीजे अभिमत ।

    रविकर की कुंडली, श्रेष्ठ रचना की आदी ।

    छाप लिंक-लिक्खाड़, टीप की दे आजादी ।।

    ReplyDelete
  2. रविकर जी आपका तो अंदाज ही निराला है।

    ReplyDelete