अजित गुप्‍ता का कोना

श्रीमती अजित गुप्‍ता प्रकाशित पुस्‍तकें - शब्‍द जो मकरंद बने, सांझ की झंकार (कविता संग्रह), अहम् से वयम् तक (निबन्‍ध संग्रह) सैलाबी तटबन्‍ध (उपन्‍यास), अरण्‍य में सूरज (उपन्‍यास) हम गुलेलची (व्‍यंग्‍य संग्रह), बौर तो आए (निबन्‍ध संग्रह), सोने का पिंजर---अमेरिका और मैं (संस्‍मरणात्‍मक यात्रा वृतान्‍त), प्रेम का पाठ (लघु कथा संग्रह) आदि।

Friday, February 26, 2021

छायादार पेड़ की सजा

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  www.sahityakar.com मेरे घर के बाहर दो पेड़ लगे हैं , खूब छायादार। घर के बगीचे में भी इन पेड़ों की कहीं-कहीं छाया बनी रहती है। कुछ पौधे इ...
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Sunday, February 7, 2021

कबाड़ ना बन जाए ज़िन्दगी!

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www.sahityakar.com   मेरी मिक्सी के एक जार में मामूली सी खराबी आ गयी, बेटी-दामाद घर आए हुए थे, वे बोले कि मैं नयी मिक्सी आर्डर कर देता हूँ। ...
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Wednesday, February 3, 2021

बजट के बहाने यूँ ही

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www.sahityakar.com मेरा बजट भगवान बनाता है। कितना सुख और कितना दुख का लेखा-जोखा उसी के हाथ है। मेरी सारी संचित समृद्धि का बजट भी भगवान ही ब...
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Tuesday, February 2, 2021

भगवान हर पल साथ हैं

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www.sahityakar.com फेसबुक पर एक कहानी चल रही है – एक दिन भगवान के साथ। एक युवक के पास एक दिन भगवान पहुँच जाते हैं और पूरा दिन उसके साथ रहते ...
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Monday, February 1, 2021

झाड़ू-फटके से बचने को काम की तलाश!

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  www.sahityakar.com शर्माजी की पत्नी बगुले की तरह एक टांग पर खड़े होकर घर के काम कर-कर के तपस्या कर रही थी, उसकी एक नजर पतिदेव पर भी थी क...
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Saturday, January 30, 2021

अपनों का वार!

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www.sahityakar.com तथाकथित किसान या दलाल आन्दोलन ने कई भ्रम तोड़ दिये हैं। जब भी कोई नया सम्प्रदाय अस्तित्व में आता है तब वह अपनी संख्या बढ़...
Friday, January 29, 2021

राजतंत्र की भेड़ें

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जी हाँ हम राजतंत्र की भेड़े हैं, गडरियाँ हमें अपनी मर्जी से हांकता है। विगत 6 सालों से देश में लोकतंत्र को स्थापित करने के प्रयास किये जा रह...
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