इन लड़कियों की अल्हड़ता क्या ऐसी ही बनी रहेगी? इन लड़कों का नृत्य क्या ऐसे
ही देश प्रेम को सार्थक करता रहेगा? क्या इन नन्हें बच्चों में से कोई गाँव की कमान
सम्भाल लेगा? स्वतंत्रता दिवस की यह साफ-सफाई क्य़ा हमेशा ही गाँव को स्वच्छ बना
देगी? क्या महिलायें पूरी शक्ति के साथ ऐसे ही घर-परिवार और देश के झण्डे को
लहराती रहेंगी?
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (17-08-2016) को "क्या सच में गाँव बदल रहे हैं?" (चर्चा अंक-2437) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार।
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