प्रकृति अपने यौवन पर है, बगीचों में जहाँ तक नजर
जाती है, फूल ही फूल दिखायी देते हैं। भारतीय त्योहार प्रकृति पर आधारित हैं इसी
कारण यह मौसम त्योहारों का भी रहता है। अभी होली गयी, फिर नया साल आ गया और अब
गणगौर। त्योहारों के कारण परिवारों में प्रेम भी फल-फूल रहा है। और जब मन में
केवल प्रेम ही हो, सब कुछ सकारात्मक हो तब लिखने की बेचैनी मन में नहीं होती है।
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सही कहा आपने। इसीलिए तो बंदा कह रहा है कि खुसदीप भाई, आप सफेद झूठ बोल रहे हो।
ReplyDeleteशिखा जी आपके पेज को लाइक कर दिया है।
ReplyDeleteसंतोष कुमार जी, जहाँ भी पुरस्कार हैं, गुटबाजी भी है। इसलिए मैं इनसे दूर ही रहती हूँ।
सार्थक प्रस्तुति.
ReplyDeleteसार्थक |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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