Tuesday, April 6, 2010

असली चेहरा तो हमने सात तालों में बन्‍द कर रखा है

हमारे घर के प्रोडक्‍ट बनाते-बनाते आखिरकार भगवान थक गया तो अन्तिम बार थोड़ा टांच-वांच कर हमें छोटा-मोटा रूप दे दाकर धरती पर भेज दिया। अब माँ भी परेशान हो चली थी, बच्‍चों की परवरिश करते-करते, तो उसने भी भगवान द्वारा छोड़ी गयी छोटी-मोटी दरजों को दूर करने में कोई दिलचस्‍पी नहीं दिखायी। जैसा प्रोडक्‍ट आया था वो वैसा ही रहा। बचपन में तो ध्‍यान जाता नहीं क्‍योंकि तब शीशे में शक्‍ल देखने की अक्‍ल होती नहीं। लेकिन जैसे ही बड़े हुए, शीशे में देखने की परम्‍परा शुरू हुई। स्‍वयं को तो अपना थोबड़ा ठीक ही लगता है, क्‍यों आपको भी लगता ही होगा? लेकिन लोगों की निगाहों से लगता था कि कोई चार्मिंग वाली बात नहीं है। बस सारा कुछ काम चलाऊ ही है। तब भगवान की अक्‍ल पर हमें बड़ा गर्व अनुभव हुआ। बन्‍दा चाहे कैसा भी हो लेकिन व्‍यक्ति के स्‍वाभिमान का पूरा ध्‍यान रखता है। उसने सोचा कि मेरे प्रोडक्‍ट कहीं बिदक ना जाएं इसलिए ऐसी व्‍यवस्‍था करो कि ये अपना चेहरा देख ही नहीं पाएं। अब आदमी अपने हाथ देखे, पैर देखे, शरीर भी थोड़ा बहुत देख ही ले लेकिन अपना चेहरा नहीं देख सकता। वाह रे भगवान, तूने तो अच्‍छा इंतजाम कर दिया। जिसे नाक-भौ सिकोड़नी हो वो सिकोड़े हमें क्‍या? अपन तो अपना चेहरा लेकर खुश हैं, जैसा भी है बस सामने वाला भुगते। हम तो दूसरे का सलोना सा चेहरा ही देखेंगे।

आपको कैसी लगी हमारे भगवान की कारस्‍तानी? लेकिन आदमी भी कम नहीं। उसने एक अदद आईना बना दिया। बोला कि ले साले तू भी देख। अपना थोबड़ा हमें ही दिखाता रहता है कभी-कभी खुद भी देख लिया कर। मैंने एक दिन भगवान से पूछा कि आपकी यह क्‍या व्‍यवस्‍था है?

भगवान बोला कि मैंने तुम्‍हें कई चीजों से बचा लिया। जब तुम गुस्‍से में नाग जैसे फूफ्‍कारते हो तो तुम्‍हारा चेहरा कैसा विकृत हो जाता है? तुम खुद देख लो तो खौफ के कारण मर ही जाओ। जब तुम किसी पर कुटिलता से हँसते हो तब तुम्‍हारा चे‍हरा चालाक लोमड़ी सा हो जाता है। रोने पर तो तुम्‍हारा चेहरा गधे के समान हो जाता है। इसलिए जब अपने विभिन्‍न रूपों को हमेशा ही देखते रहते तो हीनभावना के शिकार बन जाते। तुम्‍हारा स्‍वाभिमान खो जाता। अब तुम आईने में अपना चेहरा कभी-कभी देख लिया करो और खुश हो लिया करो।

मैने भगवान से फिर प्रश्‍न किया कि हे भगवान, हम अपने चेहरे को देख नहीं सकते और दुनिया को देखने की बात करते रहते हैं। क्‍या हम वास्‍तव में दुनिया को देख पाते हैं?

इंसान केवल अपने स्‍वार्थ को ही देख पाता है, भगवान ने टका सा जवाब दे दिया। उसे जो देखना है बस वो वो ही देखता है। उसने अपने दिमाग की घड़ी को सेट कर रखा है कि मैं जितना समय देखना चाहूं तू उतना ही बताना। इसलिए तुम अच्‍छे हो तो दुनिया अच्‍छी दिखायी देती है और बुरे हो तो बुरी। तुम अपने चेहरे को लेकर ज्‍यादा परेशान मत हो, आजकल तो नकली चे‍हरे भी मिलने लगे हैं। फिर फोटाग्राफर नामक जीव ऐसी सुन्‍दर फोटो खेंच देता है कि तुम उसे सारा दिन देखते ही रहते हो। तो हम खुश हैं, फोटो अच्‍छी सी खिचवा ली है और आईने को भी दूर कर रखा है। बस दूसरों के चेहरे देखते हैं और दुनिया कितनी सुन्‍दर है खुश हो लेते हैं। लेकिन आपके दुख से हमें कोई सरोकार नहीं है कि आपको हमारा चेहरा देखना पड़ता है। अरे आपको भी कहाँ असली चे‍हरा देखना है बस आप लोग तो फोटो देखो। असली चेहरा तो हमने सात तालों में बन्‍द कर रखा है। न जाने इस पर कितने पर्दे लगा रखे हैं? इसलिए असलियत में मत जाना बस नकली चेहरों से ही खुश हो लेना।

25 comments:

  1. असली चेहरा तो हमने सात तालों में बन्‍द कर रखा है। न जाने इस पर कितने पर्दे लगा रखे हैं? इसलिए असलियत में मत जाना बस नकली चेहरों से ही खुश हो लेना।

    ध्रुव सत्य कहा है आपने
    आभार

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  2. असली चेहरा भला कौन किसी को दिखाता है..
    किस को क्या दिखाना है वक्त ही सिखाता है.

    -एकदम सही आंकलन!! बेहतरीन आलेख!

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  3. नकली चेहरा भी एक ही नही होता, एक चेहरे पे हजार चेहरे लगाये रखता हूं मैं
    समय, स्थिति, स्थान के अनुरूप चेहरा सामने कर देता हूं

    प्रणाम स्वीकार करें

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  4. नकली चेहरा सामने आये असली सूरत छुपी रहे ...
    किया क्या जाए ....असली चेहरा और असली सच्ची बात किसे हज़म होती है ....
    झूठ के आवरण में झूठे चेहरे ही तो नजर आते हैं ...!!

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  5. chahre kai ke kai rup he

    sahi he





    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

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  6. बहुत सुन्दर चित्रण किया है आपने । सच ही तो है , भगवान को भी इंसान का असली चेहरा देखने के लिए न जाने कितने पर्दों को हटाना पडेगा । पहली बार आपके ब्लाग पर आना हुआ , अच्छा लगा...सीमा सचदेव

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  7. सही कहा आपने इंसान सिर्फ उतना देखता है जितना देखना चाहता है यानी जिसमे उसका स्वार्थ निहित है , मगर वो अगर ऐसा करना छोड़ दे तो वो भी भगवन नहीं बन जाएगा !

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  8. Anyway,ब्लॉग पर आपका नया चेहरा बहुत अच्छा लगा डा० अजित जी !

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  9. इसलिए तो हम दिल वादी हैं -चेहरे अक्सर झूठे होते हैं !

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  10. डा.साहिबा, हमें तो वो भजन याद आ गया - चेहरा क्या देखते हो, दिल में उतर कर देखो न! भजन ही था जी, कोई रोमांटिक गाना नहीं:)
    बहुत अच्छा लिखा है आपने, बधाई।

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  11. सही कहा...असली चेहरा कौन दिखाना चाहता है...खुद भी देखने की ख्वाहिश नहीं,रखते ...सात ताले में बंद कर रखे हैं...और मुखौटे लगाए घूमते हैं,सभी...सुन्दर आलेख

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  12. अजित जी , खूबसूरती तो अन्दर की होती है ।
    लेकिन आजकल बाहरी सुन्दरता तो मिल जाती है पर अंदरूनी नहीं मिलती।
    वैसे बनाने वाले ने तो सब को ही सुन्दर बनाया था।

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  13. जय हो, आज तो आपने जीवन का एक बहुत बड़ा रहस्य उद्घाटित कर दिया. रोज़ शीशा देखने पर भी इस बात पर ध्यान कहाँ जाता है.

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  14. बिल्कुल खरी बात कही आपने.

    रामराम.

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  15. वर्ष भर की कुछ चुनिंदा पोस्टों में आपकी इस पोस्ट को शामिल कर लिया है । अब ये कहने की जरूरत नहीं शायद कि मुझे ये कितनी पसंद आई है ।
    अजय कुमार झा

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  16. सुंदरता सदैव देखने वाले की नजरों में होती है।

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  17. बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।

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  18. लेकिन आदमी भी कम नहीं। उसने एक अदद आईना बना दिया। बोला कि ले साले तू भी देख। अपना थोबड़ा हमें ही दिखाता रहता है कभी-कभी खुद भी देख लिया कर

    हा हा हा
    ये लाइन पढते पढते लोट पोट हो गए

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  19. यह आपने बहुत अच्छा किया!

    अब समझ में आया कि
    चर्चा मंच पर आप क्यों नहीं आ रही हैं!

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  20. आपने कितनी बड़ी बात सहजता से हास्य का पुट दे कर कह डाली.....इंसान जैसा स्वयं सोचता है वैसा ही नज़र आता है...

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  21. असली और नकली चेहरा....कौन जाने !!


    -----------------------------------
    'पाखी की दुनिया' में जरुर देखें-'पाखी की हैवलॉक द्वीप यात्रा' और हाँ आपके कमेंट के बिना तो मेरी यात्रा अधूरी ही कही जाएगी !!

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  22. कभी कभी असली चेहरा भी हमें अपने दिल के अन्दर झाँक कर देखते रहना चाहिए! यह हमें हमारी औकात दिखता है! वरना तो आइना देख कर खुश होने वाले बहुत हैं!

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  23. मम्मा....मैं वापिस आ गया....

    सही आंकलन के साथ यह लेख बहुत बेहतरीन लगा....

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  24. प्रिय महफूज, तुम कहाँ चले गए थे? आज कितना अच्‍छा लगा तुम्‍हें ब्‍लाग पर देखकर। सच आँख भर आयी। तुम्‍हें तो बधाई भी देनी है, इतनी अच्‍छी सफलता मिली, हमें लग रहा है कि हम सब भी सफल हो गए। अपनी सारी दास्‍तान की जल्‍दी ही एक पोस्‍ट लिख दो।

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  25. आदरणीय डॉ० साहबा!
    आप की पोस्ट पढ़ कर बड़ा आनन्द आया।
    चेहरे पर एक और बेहतरीन चीज है, वह है -
    नाक । किसी की नाक फुलौरी जैसी, किसी की
    गुलगुले जैसी, किसी की नीबू जैसी तथा किसी
    की चीकू जैसी । छोटे-बड़े साइज के भाँति-
    भाँति के लोग और भाँति-भाँति प्रकार की
    नाक । इसकी सुरक्षा कितना बढ़िया कुदरती
    इतिजाम है-++++++++++++++++++++++
    नाक की महिमा निराली,
    नाक है तो धाक है।
    नाक नीची हो गई
    समझो प्रतिष्ठा खाक है।।
    कोई चीकू समझ कर
    इसको न ले जाए उड़ा-
    इसलिए आँखों तले
    मौजूद सबकी नाक है।।

    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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