सूरज ढल चुका था, सारे ही पक्षी अपने बसेरों में आ
चुके थे। बोगेनवेलिया से चीं-ची की आवाजें तेज होने लगी, मुझे लगा कि माँ लौट आयी
है। सारा दिन बच्चे अकेले रहे थे। ना दाना और ना पानी। अपनी सुरक्षा भी
बोगेनवेलिया के पत्तों के बीच छिपकर की थी। आज सुबह ही मेरे बगीचे में दो गौरैया
के बच्चे अपनी माँ के साथ आए थे।
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धन्यवाद अरुण जी।
ReplyDeleteहित अनहित पशु पक्षी जाने
ReplyDeleteखुबसूरत संवेदनशील
Mere paas alfaaz nahi! Mere blog pe aayen aur ek make mooh se nikali karah sune!
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