Saturday, May 18, 2013

आखिर माँ लौट आयी

सूरज ढल चुका था, सारे ही पक्षी अपने बसेरों में आ चुके थे। बोगेनवेलिया से चीं-ची की आवाजें तेज होने लगी, मुझे लगा कि माँ लौट आयी है। सारा दिन बच्‍चे अकेले रहे थे। ना दाना और ना पानी। अपनी सुरक्षा भी बोगेनवेलिया के पत्तों के बीच छिपकर की थी। आज सुबह ही मेरे बगीचे में दो गौरैया के बच्‍चे अपनी माँ के साथ आए थे।
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3 comments:

  1. हित अनहित पशु पक्षी जाने
    खुबसूरत संवेदनशील

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  2. Mere paas alfaaz nahi! Mere blog pe aayen aur ek make mooh se nikali karah sune!

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