Tuesday, February 1, 2011

ममता बैनर्जी आप रेल मंत्री भी हैं! क्‍या आपको स्‍मरण है? - अजित गुप्‍ता


ममता जी जब आप रेल मंत्री बनी थी तब ढेर सारी आशाएं जाग गयी थीं। सोचते थे कि आपके तेज तर्रार व्‍यवहार के कारण रेल में यात्रियों को सुविधाएं मिलेगी। साफ-सफाई की व्‍यवस्‍था सुचारू होगी लेकिन देखने में नहीं भुगतने में आ रहा है कि रेल यात्रा में यात्रियों को जो साफ-सफाई मिलनी चाहिए वो धीरे-धीरे समाप्‍त होती जा रही है। यह भी हो सकता है कि आपका ध्‍यान सारा ही पूर्व के प्रान्‍तों तक सीमित हो और हम बेचारे पश्चिम में याने राजस्‍थान में रहते हैं, तो इतनी दूरी तक आपका ध्‍यान ही नहीं जाता हो। वैसे भी आपको बंगाल की ज्‍यादा चिंता है तो हम राजस्‍थान वाले तो उपेक्षित ही रहते हैं। आप सोच रही होंगी कि आखिर मेरी शिकायत का क्‍या कारण है। तो बताए देती हूँ -
मैंने 20 जनवरी 2011 को उदयपुर से मुम्‍बई के लिए द्वितीय श्रेणी एसी में आरक्षण कराया था। सबूत के लिए अपना पीएनआर नम्‍बर भी दे रही हूँ 2642150423
शिकायत यह है कि जैसे ही बेडरोल खोला गया, गन्‍दी चद्दरे और गन्‍दे तकियों से पाला पड़ा। कोच के अटेण्‍डेण्‍ट को बुलाकर चद्दर बदलने को कहा गया तो भी कोई बदलाव नहीं। क्‍योंकि सारी ही चद्दरे उपयोग में ली हुई थीं। इसपर मैंने शिकायत-पुस्तिका की मांग की और उदयपुर स्थित एक सीनीयर अधिकारी से बात भी की। लेकिन शिकायत-पुस्तिका नहीं दी गयी। अटेण्‍डेण्‍ट ने कहा कि उपलब्‍ध नहीं है। आप कहेंगी कि टीसी को कहना चाहिए था, लेकिन इसके बाद टीसी महाशय कहीं भी नजर नहीं आए। खैर जैसे-तैसे हमने उन बेडरोल को ही भुगता। लेकिन सुबह देखा कि टायलेट भी सारे ही गन्‍दे पड़े हैं। ट्रेन में अनधिकृत वेण्‍डर खाद्य पदार्थ बेचने बेरोकटोक आते रहे और यात्रियों से पांच रूपए की चाय के 10 रूपए और 5 रू के बड़ा पाव के 20 रूपए वसूलते रहे लेकिन टीसी को सबकुछ मुफ्‍त।  
गन्‍दगी को ऐसा ही नजारा मुम्‍बई के बांद्रा वेटिंग रूम पर देखने को मिला। रूम अटेण्‍डेण्‍ट का सारा ध्‍यान यात्रियों से पैसा वसूलने पर लगा था। वेटिंग रूम ऐसा लग रहा था जैसे यहाँ कई दिनों से सफाई नहीं हुई हो। यह बात है दिनांक 30 जनवरी 2011 की। मुझे उस दिन मुम्‍बई से उदयपुर के लिए रेल यात्रा करनी थी और मेरा पीएनआर नम्‍बर भी दिए देती हूँ - PNR No: 8536435061
वेटिंग रूम से निकलकर जब ट्रेन में बैठे तो वही राग। वैसे ही गन्‍दे बेडरोल और टायलेट में साबुन तक नदारत। वही अनधिकृत वेण्‍डर, और वही मनमानी। अब आप ही बताएं कि हम अपनी शिकायत कहाँ जाकर करें? द्वितीय श्रेणी एसी में भी यदि यात्री को यही सब भुगतना पड़ेगा तो आपके मंत्री होने का क्‍या फायदा? क्‍या आपका नियंत्रण अधिकारियों और कर्मचारियों पर बिल्‍कुल ही नहीं है या फिर आपने ही इन्‍हें स्‍वतंत्रता दे रखी है कि तुम कुछ भी करों बस मुझे बंगाल की चिन्‍ता में मशगूल रहने दो। मेरी यह शिकायत आज की नहीं है, उदयपुर से चलने वाली सभी ट्रेनों में यही स्थिति हैं। मैं भी आपकी ही तरह सामाजिक कार्यकर्ता हूँ और साथ में थोड़ा लिख भी लेती हूँ तो प्रवास तो करने ही पड़ते हैं और प्रवास में ऐसी व्‍यवस्‍था देखकर महिला और गन्‍दगी का समीकरण कुछ हजम नहीं होता, इसलिए रोज-रोज कि चिकचिक से बचते हुए आज आपको यह पत्र लिख दिया है हो सके तो उदयपुर पर भी अपनी कृपा दृष्टि डाल ही दीजिए।   

33 comments:

  1. agar saari vyvasthyen sahi hoti to inko mantri koi nahin kahta,

    har jagah yahi sthiti hai

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  2. आपकी शिकायत वाज़िब है। तकरीबन सभी गाडियों की यही स्थिति है। सफाई के मामले में व्यवस्था लचर है, सफ़ाई और बेडरोल की व्यवस्था कॉट्रेक्टरो को दे दी जाती है और रेल अधिकारी चैन से सोते है।
    कॉट्रेक्टर पैसा बचाने की जुगत भिडाते रहते है।

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  3. काश ममता जी कि नजर पढ़ जाये इस आलेख पर और उनकी नींद खुल जाये तनिक.

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  4. ऐसी ही शिकायत अभी कुछ दिन पूर्व सुश्री सर्जनाजी शर्मा के ब्लाग रसबतिया पर भी पढने को मिली थी ।
    अपवादस्वरुप इसी सप्ताह इन्दौर-मुम्बई के बीच चालू दुरन्तो एक्सप्रेस की हमारे इन्दौर शहर का समाचार पत्र नईदुनिया फर्याप्त तारीफ भी कर रहा था ।

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  5. शिकायत तो वाजिब ही है मगर असर होगा तब तो ..

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  6. आभार आपका
    आपने शिकायत तो की, वर्ना मेरे जैसे लाखों यात्री तो भुनभुना कर ही रह जाते हैं।
    मैं दैनिक रेलयात्री हूँ, जिस दिन से ममता जी रेल मंत्री बनी हैं, तबसे अब तक शायद सैकडों गालियां निकाल चुका हूँ, इनके लिये।
    मैनें अपने 20 साल की दैनिक रेलयात्रा में लालू प्रसाद जी को सबसे अच्छा रेलमंत्री पाया है।

    प्रणाम

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  7. ‘ममता बैनर्जी आप रेल मंत्री भी हैं’

    हां, लेकिन कोलकाता की केंद्र की नहीं :)

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  8. अजीज जी, पहले तो आपको शिरडी यात्रा की बधाई हो।
    भारतीय रेल की अव्‍यवस्‍था ने भले ही आपके मिजाज में खटास पैदा की हो लेकिन साईं नाथ के दर्शन करने के बाद आपको सुकून मिला होगा, यह यकीन है।
    रेलमंत्री आपके पत्र को पढे या न पढे, यह अलग बात है लेकिन आपकी लेखनी यूं की सच को सामने लाने का काम करते रहे इसी उम्‍मीद के साथ आपको एक बार और प्रणाम।

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  9. ममता बनर्जी तक ये बात नहीं पहुचेगी | अगर पहुचेगी भी तो उन्हें हिन्दी पढ़ना नहीं आता | अगर पढ़ भी लिया तो वो कानो में सो ग्राम तेल डाल कर रहती है ? यानी ढाक के तीन पात | लेकिन आपने अपनी शिकायत ब्लॉग पर डाली ये भी बहुत बढ़िया किया कम से कम हम जैसे लोगो को भी पता तो चला कंहा क्या हो रहा है |

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  10. "अंधे के आगे रोये आपने नैना खोये" इस विषय पर तो उनका संत्री भी आपकी नहीं सुनेगा

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  11. Ummeed aur wo bhee mantriyon se??Safayi kya...har kshetr me na-ummeed hee hona padega!

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  12. आपका कथन बिलकुल सत्य है. कुछ prestgious trains को छोड़ कर सफाई की सभी ट्रेन में यही हालत होती है. beddings इतने गंदे होते हैं कि उनको प्रयोग में लाने का दिल नहीं करता, लेकिन मज़बूरी होती है. ममता जी को रेल विभाग का काम देखने की फुर्सत कहाँ है.

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  13. बिलकुल सही शिकायत है ! मैं भी इन गन्दी चादर बेडरोल को भुगत चूका हूँ ! जैसे तैसे रात काटी थी ! शुभकामनायें !

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  14. अजित जी,

    गंदे चादर और बेड रोल तो आम बात हो चुकी है, मैं बंगाल की ही कहानी बताती हूँ . मैं कानपुर से कोलकाता के लिए सियालदह राजधानी से यात्रा कर रही थी . उस बेडरोल में क्या होगा नहीं जानती थी . जब मैं कोलकाता पहुंची तो पता चला कि मेरे सर में जूँ चढ़ चुके थे . मैं official meeting के लिए गयी थी किस i के घर नहीं कि किसी प्रकार से उनसे निपट लेती . एक हफ्ते में मेरे सर की हालात वह हुई कि मुझे घर आना मुश्किल हो चुका था . वाकई TV के Ad के अनुसार मेडिकर का प्रयोग करने के बाद ही मैं मुक्त हो पायी .

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  15. अजित गुप्ते जी ,आपने जो व्यथा वर्णन लिखा हे करीब -करीब वो हर ट्रेन की आपबीती हे चाहे ममता बेनर्जी मंत्री हो चाहे लालू !यह सब तो हमे भुगतना ही पड़ता हे --बाम्बे रहती हु और यहाँ की अर्थव्यवस्था से मै वाकिफ हु --बड़ा बुरा हांल हे यहाँ का --मंत्री वर्ग अपनी -अपनी रोटियां सकने मे मग्न हे --बेचारी जनता क्या करे --

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  16. क्या आप बंगाल में इलेक्शन होने तक इंतज़ार नहीं कर सकतीं. अगर ममता जी मुख्यमंत्री नहीं बनी तो रेल की व्यवस्था भी सुधार देंगी. कृपया प्रतीक्षा कीजिये.

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  17. मगर ये पत्र उन तक पहुंचेगा कैसे या पहुंचाएगा कौन ? वे तो ब्लॉग पढ़ती नहीं होंगी ?

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  18. भूल जाइये अजित जी फिलहाल ममता दीदी के पास हम लोगों की बात सुनने का कोई समय नहीं है वो बंगाल विजय के सपने देखने में व्यस्त है आप की फरियाद बंगाल चुनावों के बाद ही सुनी जाएगी |

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  19. ्देखिये ममता जी हो या लालू या पासवान, जब तक जनता जागरुक नही होती तब तक यही चलता रहेगा,आप की तरह से अगर सब इन की शिकायत करे, ओर वही मोके पर ट्रेन को सभी यात्री रुकवाते ओर अपनी बात मनवाते तब बात बनती, ओर हर बार ऎसा हो तो देखो केसे बात नही बनती,आप इस की एक प्रति ममता जी को जरुर भेजे, धन्यवाद

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  20. ब्लॉग पर इस विषय को आपने उठा कर काफी उचित किया है. अपने पत्र को अखबारों और मंत्री महोदया को भी पहुंचाएं.

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  21. आमजन की शिकायतों का कहाँ असर होता इनपर..... उम्दा विषय पर बात की आपने......

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  22. हम शिकायत और प्रतिरोध के बजाय अव्‍यवस्‍था को नजरअंदाज करने या बीच का रास्‍ता निकाल लेने की सोचते हैं. वैसे आज के अखबारों में डिस्‍पोजेबल नेपकिन और पिलो-कवर की खबरें हैं.

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  23. ीआपकी शिकायत तो वाज़िब है लेकिन सुनेगा कौन ? ममता क्या पूरी सरकार कानों मे तेल डाल कर ही चलती है। हर जगह यही हाल है लेकिन जागरुक नागरिक होने के नाते आपका ये प्रयास अच्छा है। शुभकामनायें।

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  24. ब्‍लागिंग का अर्थ ही यह है कि हम अपनी आवाज को एक मंच दें, इसलिए मैंने यह आवाज उठायी है। मैं जानती हूँ कि यह पत्र बेमानी है, इसमें कोई दम भी नहीं है लेकिन यदि आप सभी भी इसी प्रकार आवाज उठाने लगें तो परिणाम जरूर आएगा। वैसे बेडरोल के कांट्रेक्‍टर पर 2000 रूपए जुर्माना तो हो चुका है। मेरा आप सभी से निवेदन है कि जब भी रेल से यात्रा करें और ऐसी दुर्व्‍यस्‍था देखें तो अपने ब्‍लाग पर जरूर लिखें और इसका लिंक भी शीर्षस्‍थ अधिकारियों के मेल पर भेंजे। मैंने कल ऐसा ही किया है।

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  25. .

    ममता के आँसू घड़ियाली
    मिली रेलवे की रखवाली
    लालू को दिखता बिहार था
    ममता को दिखता बंगाली.

    सत्ता की साधना कर रहे
    आज़ लुटेरे, बनकर माली.
    सबने लूटा तरह-तरह से
    ममता की थ्योरी 'बदहाली'.

    लालू 'गरीब-रथ' लेकर आये
    खाली पेट ना होए जुगाली.
    ममता ने भी सोचा अब तो
    'नक्सल-रथ' भी भालो चाली.

    .

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  26. बहुत ही वाजिब शिकायत है..आपकी
    पर क्या पता ऐसे कितने शिकायती पत्र उन्हें मिलते हों...पर उन्हें उसपर नज़र डालने की फुरसत नहीं....आखिर उनके लिए राजनीति गठजोड़ बिठाना ज्यादा जरूरी है या जनता की शिकायतें दूर करना

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  27. आपकी शिकायत बाजिव है ...पर इन लोगों के कान पर जूं रेंगे तब तो लाभ है ..लेकिन आपने अपना फर्ज तो पूरा किया ...आपका शुक्रिया

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  28. अजित जी आपने बहुत ही सही समस्या को उठाया है. ये बात तो अब हर ट्रेन में आम बात हो गयी है. विचारणीय आलेख .

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  29. आपके विरोध को सफलता मिली, बधाई.

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  30. अजीत जी, आपका पत्र ममता बनर्जी के पास पहंचा या नहीं यह तो नहीं मालूम, लेकिन आप आ रही थीं, शिरडी से और वहां से आने के बाद आपकी पहली शिकायत ही इतनी जोरदार तरीके से रखी गई कि कमाल हो गया। आज सुबह की मैंने अखबारों में पढा कि गंदे बेडरोल से निजात दिलाने के लिए रेलवे ने अब डिस्‍पोजल बेड रोल यात्रियों को देने का फैसला लिया है और दिल्‍ली से चलने वाली शताब्‍दी सहित कुछ रेलों में इसका प्रयोग भी किया है। यात्रियों की इस डिस्‍पोजेबल बेड रोल को लेकर अच्‍छी प्रतिक्रया को देखते हुए रेलवे इसे देश भर में लागू करने की तैयारी में है। खबर के अनुसार रेलवे इसे लागू कर यात्रियों की शिकायत से बचना चाहता है और साथ ही बेडरोल की चोरियों से होने वाले नुकसान से भी निजात पाना चाह रहा है।
    साईंनाथ ने कमाल कर दिया।

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  31. ऐसी परेशानियाँ बहुत आम हो गई हैं .शिकायतें ऊपर तक पहुँचें ऐसा कोई उपाय होना बहुत आवश्यक है .क्योंकि जब तक ऊपर से डंडा नहीं पड़ता ,लोग मनमानी करते रहते हैं .

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  32. जितना लापरवाह रेलवे महकमा है , नागरिक भी कही कम गैर जिम्मेदार नहीं हैं. सही है की मंत्रालय और रेल विभाग को सख्त मोनिटरिंग करनी चाहिए . यह भी जरूरी है की नागरिक कम से कम साफ़ सफाई के प्रति लापरवाह न रहे. लापरवाह लोगो को सभ्यता से टोका जाना चाहिए.

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  33. अजित जी ,
    आपकी तीर्थयात्रा बहुत अच्छी रही होगी आपके लेख से लग रहा है रेलवे के बारे में आपकी शिकाय बिल्कुल उचित है . ममता जी को रेलवे की नहीं बंगाल की चिंता है । उन्हें वहां चुनाव जीतना है रेल तो चलती ही रहेगी सभी फुल जाती है टिकटों के लिए मारामारी है । हम आवाज़ उठाते रहेंगें तो किसी दिन कोई तो सुनेगा

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